जयपुर . राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा है कि सुबह के समय हजारों की संख्या में स्कूली बच्चे और मॉर्निंग वॉकर्स सड़क पर रहते हैं. लेकिन इस दौरान न तो एक भी पुलिसकर्मी मौजूद रहता है और ना ही चौराहों पर सिग्नल काम करते हैं.
इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह यातायात से जुडे़ विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाने पर विचार करे. मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश एसपी शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रिजवान खान व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि शहर हेरिटेज सिटी में शामिल होकर महानगर बनने की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में यहां की ट्रेफिक व्यवस्था में किस तरह सुधार किया जा सकता है. सरकार की जिम्मेदारी है कि शहर में ट्रेफिक व्यवस्था सुचारू हो और पार्किग की भी उचित व्यवस्था की जाए. अदालत ने महाधिवक्ता को भी कहा है कि वे इस संबंध में एक समग्र योजना पेश करें.
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसीएस स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा. इसके अलावा अदालत को बताया गया कि यातायात पुलिस के पास 13 इन्टरसेप्टर, 236 ब्रेथ एनालाइजर, सहित अन्य संसाधन हैं. सरकार की ओर से पिछले तीन साल के आंकडे पेश कर कहा गया कि वर्ष 2017 में जयपुर कमिश्नरेट में 1764 दुर्घटनाएं हुई. इनमें 538 लोग घायल हुए और 399 लोगों की मौत हुई. इसी तरह वर्ष 2018 में 1661 दुर्घटनाओं में 399 लोग घायल हुए और 308 लोगों की मौत हो गई. वहीं इस साल जून माह तक 936 दुर्घटनाएं हुई. इनमें 822 लोग घायल हुए और 187 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा.