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राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन? तीनों राज्यों के पर्यवेक्षक नियुक्त, राजस्थान में ये संभालेंगे मोर्चा

राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर पांचवें दिन भी सस्पेंस बरकरार है. इस बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व अपने निर्णय में वसुंधरा राजे की रजामंदी को शामिल करना चाहता है. वहीं, शुक्रवार को तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हो गई है.

Suspense over CM of rajasthan
Suspense over CM of rajasthan

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 8, 2023, 8:51 AM IST

Updated : Dec 8, 2023, 11:37 AM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम आए 5 दिन का वक्त गुजर चुका है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी अभी तक मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर फैसला नहीं कर पाई है. इस बीच अपने दिल्ली दौरे के दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहीं हैं. गुरुवार रात को राजे ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. वहीं, संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद देर रात को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच अहम बैठक हुई. शुक्रवार को राजस्थान सहित तीनों राज्यों में पर्यवेक्षक की नियुक्ति हो गई है. इनमें राजस्थान के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े की नियुक्ति की गई है.

एमपी और छत्तीसगढ़ में ये पर्यवेक्षक :मध्य प्रदेश के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा पर्यवेक्षक नियुक्ति की गईं हैं. वहीं, छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंड, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम पर्यवेक्षक नियुक्त की गई हैं.

दिल्ली में मंथन जारी :राजस्थान सहित तीन राज्यों में बड़े बहुमत के साथ बीजेपी चुनाव जीतने में कामयाब रही, लेकिन अब पार्टी के सामने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर एक यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है. परिणाम आए हुए 5 दिन गुजर गए, लेकिन पार्टी अभी तक इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम घोषित नहीं कर पा रही है. पार्टी में किसी तरह की कोई आंतरिक बगावत खड़ा न हो इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आपस में लगातार बैठक कर रहे हैं. गुरुवार को संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, लेकिन उसमें भी कोई निर्णय नहीं हो पाया. इस बीच गुरुवार देर रात को एक बार फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बंगले पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ लंबी बैठक हुई. अब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है कि आंतरिक लोकतंत्र की बात करने वाली भाजपा के अंदर खाने भी सब कुछ सामान्य नहीं है.

तीनों राज्यों के पर्यवेक्षक नियुक्त

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तीनों राज्यों में पर्यवेक्षक नियुक्त :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच लगातार मुलाकात का दौर जारी है. तीनों राज्यों में नियुक्ति किए गए पर्यवेक्षक अगले दो दिन में राज्यों में जाकर विधायक दल की बैठक बुलाएंगे और उसके बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रिपोर्ट पार्टी से नेतृत्व को देंगे. बता दें कि गुरुवार को देर रात को राष्ट्रीय अध्यक्ष नेता और गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात हुई थी.

राजे का दिल्ली में डेरा :वहीं, इस सियासी उठापटक के बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी दो दिन से दिल्ली में डेरा डाली हुईं हैं. बुधवार को अचानक देर रात को वसुंधरा राजे दिल्ली के लिए रवाना हुईं, गुरुवार को कई पार्टी के बड़े नेताओं से मिलीं. दिन भर मेल मुलाकात के बीच रात को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से राजे की मुलाकात हुई. इस दौरान राजे के साथ उनके बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह मौजूद रहे. मुलाकात को लेकर जानकार सूत्रों के हवाले से खबर है कि राजे ने रिसॉर्ट और विधायकों के डिनर को चल रही सियासी चर्चाओं पर अपना पक्ष रखा. कहा जा रहा है कि राजे ने नड्डा से कहा कि 'रिजॉर्ट वाले मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है, उस पूरे प्रकरण को गलत ढंग से पेश किया गया है. साथ ही विधायकों से मिलने के पीछे शक्ति प्रदर्शन जैसा कुछ नहीं था. राजे ने नड्डा को भरोसा दिलाया कि वो पार्टी की अनुशासित कार्यकर्ता हैं और कभी पार्टी लाइन के खिलाफ नहीं जा सकतीं.

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पूरी तैयारी के साथ मिलीं वसुंधरा राजे :बता दें कि जेपी नड्डा से मुलाकात के दौरान वसुंधरा राजे पूरी तैयारी के साथ गईं. मुलाकात के बाद जब राजे गाड़ी से बाहर निकली तो उनके हाथ मे कुछ पन्नों की लिस्ट थी. सूत्रों के मुताबिक, राजे पूरी तैयारी के साथ बीजेपी अध्यक्ष से मिलने पहुंचीं थीं. उनके पास लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों से लेकर हर विधानसभा सीट का लेखा-जोखा था. बताया जा रहा है कि राजे ने इस मुलाकात के दौरान चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से किस सीट पर बीजेपी का प्रदर्शन सही था और कहां खराब प्रदर्शन रहा, इसकी पूरी जानकारी भी दी, जीत-हार की वजहें भी बताईं. साथ ही यह भी बताया कि किस नेता ने किसकी पैरवी, किन कारणों से जो आंकड़ा 140 प्लस जा सकता था वो 115 पर ही क्यों रुक गया?

राजे को साधने की कोशिश :बता दें कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भले ही अपने आप को पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता बता रहीं हों, लेकिन इतिहास इस बात को साफ बताता है कि जब भी पार्टी शिर्ष नेतृत्व ने राजे को साइड लाइन करने की कोशिश की तब तब राजे ने अपनी पावर का अहसास कराया है. फिर वो 2013 के विधानसभा चुनाव का दौरा हो या फिर प्रदेश अध्यक्ष का चयन. राजे ने समय समय पर समर्थक-विधायकों के जरिए अपनी ताकत का अहसास कराया है. ऐसे में पार्टी शिर्ष नेतृत्व इन्हीं सब आस्पेक्ट को ध्यान में रख कर निणर्य की तरफ बढ़ रहा है. देश मे 6 महीने बाद लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में पार्टी कुछ बड़ा बखेड़ा हो इससे बचने के रास्तों पर काम कर रही है. बताया जा रहा है कि पार्टी शिर्ष नेतृत्व वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाने की स्थिति उन्हें कहां किस तरह से एडजस्ट किया जा सकता है, उसको लेकर भी संभावनाओं के साथ उनकी रजामंदी पर काम कर रहा है.

Last Updated : Dec 8, 2023, 11:37 AM IST

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