हम हेल्पलेस रेफरी से ज्यादा और कुछ नहीं जयपुर.राजस्थान विधानसभा में बुधवार से शुरू हुए 83वें पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुभारंभ किया. यह सम्मेलन 11 से 12 जनवरी तक चलेगा. जिसमें राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल हुए हैं तो वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सम्मेलन की अध्यक्षता की. इस दौरान सम्मेलन में स्वागत उद्बोधन करते हुए राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कई अहम समस्याओं पर उपस्थितजनों का ध्यान आकर्षित किया. साथ ही जोशी ने कहा कि आज लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदन के अध्यक्ष राजस्थान से हैं, जो इसी विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. उन्होंने आगे मोहनलाल सुखाड़िया, भैरोंसिंह शेखावत और रामनिवास मिर्धा जैसे प्रदेश के दिग्गज राजनेताओं के नामों का जिक्र किया और कहा कि ये वो राजनेता थे, जिन्होंने संसदीय परंपराओं का अच्छी तरह से पालन किया.
जोशी ने कहा कि हम सब जानते हैं कि संसदीय लोकतंत्र में विधायिका, (83rd Presiding Officers Conference)कार्यपालिका और न्यायपालिका की अहम भूमिका है. कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिका के साथ ही सबसे बड़ी व अहम भूमिका विधायिका की होती है, जो जनता के लिए अकाउंटेबिलिटी तय करने के लिए कानून बनाती है. उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में हम चुनकर आते हैं. ऐसे में जिनके पास बहुमत होता है वो नीति बनाते हैं.
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विधानसभा स्पीकर ने कहा कि हमें आज अपने नीतियों और कानूनों में परिवर्तन करने की जरूरत है. कानून बनाने में कितने लोग शामिल होते हैं और कितनी व्याख्या होती है फिलहाल इस विषय पर अधिक नहीं बोलूंगा. लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि आज हम लोग एग्जीक्यूटिव की डिक्टेटरशिप से गवर्न हो रहे हैं. यही कारण है कि आज कानून में संशोधन की सख्त जरूरत है. आगे स्पीकर जोशी ने उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आज समय आ गया है कि हम दोबारा से चीजों को देखें.
उन्होंने कहा कि नियम-कानून में परिवर्तन का काम आप ही कर सकते हैं, क्योंकि हम तो पूरी तरह से हेल्पलेस हैं. न तो हम विधानसभा बुला सकते हैं और न ही कुछ और कर सकते हैं. ऐसे में हम केवल व केवल रेफरी की भूमिका में है. लेकिन कहीं-कहीं रेफरी की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं. जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से यह मांग रखी गई है कि वो राजस्थान में विधानसभा के लिए बजट की वित्तीय स्वीकृति का अधिकार विधानसभा को दें. जिस प्रकार विधायकों के लिए फ्लैट और 5 करोड़ का फंड तय हुआ. उसी प्रकार अब विधानसभा को भी वित्तीय स्वीकृति का अधिकार मिलना चाहिए और हम राज्य के सीएम से आशान्वित हैं.