जयपुर.अखिल भारतीय ज्योतिष शोध संस्था की ओर से मंगलवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय जोतिष सम्मेलन की शुरुवात हुई. सम्मेलन में ज्योतिष की सभी विधाओं को एक मंच में प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया. जिसमें जन्मपत्री, हस्तरेखा, फलित, अंक गणित, टेरो कार्ड और मशीन से लोगों के ग्रहों की गणना की गई.
जयपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आगाज
जयपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जोतिष सम्मेलन की शुरुवात हो चुकी है. पहले दिन सम्मेलन में ज्योतिष की सभी विधाओं को एक मंच में प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया. इस सम्मेलन में देशभर से 150 विद्वानों ने भाग ले रहे हैं.
राजधानी जयपुर में हुए ज्योतिषियों के इस सम्मेलन में देशभर से 150 विद्वानों ने भाग ले रहे हैं. इस मौके पर केरल के दिवाकरण कप्पा कट्टू ने मानव शरीर व स्वास्थ्य पर ग्रह दशाओं के असर की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चंद्रमा की दशा से खांसी, कफ संबंधी परेशानी होती है. वहीं सूर्य के असर से हार्टअटैक वह हृदय से जुड़ी बीमारी, मरकरी के कारण न्यूरो संबंधित परेशानी, विनस व जुपिटर के कारण डायबिटीज जैसी समस्या होने की पूरी संभावना रहती है. ज्योतिषी दिवाकर ने कहा कि अमावस्या और पूर्णिमा को किसी भी बीमारी की सर्जरी नहीं करानी चाहिए, क्योंकि इस दिन चंद्रमा की चुंबकीय शक्ति बहुत अधिक होने से ऑपरेशन में काम लिए जाने वाले उपकरण प्रभावी नहीं रहते। ऑपरेशन के लिए नवमी और दशमी तिथि अच्छी होती है.
सम्मेलन में पारिवारिक संबंधों व पति पत्नी, प्रेमी प्रेमिका के संबंधों पर ग्रह दशा के अवसर पर भी चर्चा की गई. ज्योतिषियों ने बताया कि आज व्यस्त जिंदगी में मेट्रो सिटीज में संबंधों में निरंतर दरार आ रही है और तलाक के केस बढ़ गए है. इसके पीछे आपसी तनाव तो है ही साथ ही ग्रह, दशा लग्न की स्थिति भी होती है. चाहे कितने भी अच्छे पारिवारिक संबंध हो हमें एक बार ग्रह दशा के साथ प्लूटो की स्थिति जरूर दिखानी चाहिए, क्योंकि भगवान शिव होते हैं जो सृष्टि के रचयिता के साथ भी है.