जयपुर. राजस्थान में महिलाओं के सामाजिक मुद्दे राजनीतिक दलों की दिशा भी तय करने वाले हैं. यही वजह है कि महिला मतदाताओं की ताकत अब राजनीतिक दल अच्छी तरह समझने लगे हैं. विधानसभा चुनाव के बीच सत्ता पक्ष महिलाओं के लिए लुभावने वादों की झड़ी लगा रहा है तो वहीं विपक्षी पार्टियां भी महिला सुरक्षा को बड़ा चुनावी मुद्दा बना रही है, लेकिन इन सब के बीच प्रदेश की महिलाएं नहीं चाहती कि वो सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए सिर्फ चुनावी मुद्दा रहें. इस आधी आबादी की अपनी कुछ मांगें है जो वो चाहती हैं कि प्रदेश में जिस भी पार्टी की सरकार बने वो, उन्हें पूरा करे.
प्रदेश की महिलाएं आने वाली सरकार से क्या उम्मीद रखती है, क्या है उनकी मांग, Etv भारत ने अलग-अलग वर्ग की महिलाओं से जानने की कोशिश की तो सामने आया आज भी महिलाएं सुरक्षित माहौल, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद लगाए बैठी हैं.
महिलाएं आत्मनिर्भर बनें : सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह ने बताया कि जब भी चुनाव आते हैं, राजनीतिक दलों को आधी आबादी की याद सताने लगती है. चुनावी वादे किए जाते हैं, लेकिन अब राजनीतिक दलों को समझना होगा कि आधी आबादी को अब पूरा हक देना पड़ेगा. उनके मुद्दों पर सिर्फ बातें या वादें नहीं करने हैं. उन्हें आश्वस्त करना होगा कि उनकी सरकार बनने पर वो उनके लिए काम करेगी. अब तक बराबरी और अधिकारों की बात तो हमेशा होती रही है, लेकिन धरातल पर उसे उतारने के लिए कभी कोई ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई गई, जिसकी वजह से महिलाओं को उनके वो अधिकार नहीं मिलें, जिनकी वो हकदार थीं.
मनीषा कहती है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए महिला एक चुनावी मुद्दा नहीं हो और सरकार बनने के बाद महिलाओं और बालिकाओं के लिए सरकार कुछ ऐसा करें जिससे कि उनका सर्वांगीण विकास हो. साथ में उनकी बराबरी की भागीदारी भी सुनिश्चित हो. महिला सुरक्षा, महिला स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा के साथ जरूरी है कि सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूती से काम करें.
राजनीति में 33 फीसदी आरक्षण सराहनीय : मनीषा सिंह ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार महिलाओं को राजनीति में 33 फीसदी आरक्षण देने का कानून लेकर आई है. हम सब इसका स्वागत भी करती हैं. निश्चित ही इससे महिलाओं की जब राजनीती में भागीदारी बढ़ेगी तो विधानसभा और संसद में महिलाओं की बात को मजबूती भी दी जाएगी, लेकिन राजस्थान में आज भी महिलाओं और बालिकाओं से अहम मुद्दे हैं जिन पर मजबूती से काम करने की जरूरत है.
12 सूत्रीय मांग पत्र किया तैयार : मनीषा सिंह ने बताया कि मान द वैल्यू फाउंडेशन की ओर से जारी मुद्दे राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में शामिल करें. इसको लेकर एक 12 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया है. यह मांग पत्र प्रदेश की एक हजार महिलाओं और बालिकाओं से मिले सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है. इसे तैयार करने में एक महीने का समय लगा. चुनाव में महिलाओं और बालिकाओं से जुड़े मुद्दों पर सुझाव आमंत्रित किए गए थे, अलग-अलग क्षेत्र की एक हजार से ज्यादा महिलाओं और कॉलेज गर्ल्स की और से प्राप्त हुए सुझाव के आधार पर एक 12 बिंदुओं का मांग-पत्र तैयार किया गया है.
इस मांग पत्र को प्रदेश में चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को सौंपा गया है और उनसे मांग की गई है कि वो इन मांग पत्र के बिंदुओं को अपने अपने घोषणा पत्र में शामिल करें. फाउंडेशन की अध्यक्ष अंजलि बताती है कि प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षित माहौल मिले. छोटी बच्ची से लेकर बड़ी औरत को भी देर रात घर से निकलने में डर लगता है.
ब्रिटिश शिक्षा नहीं चाहिए : स्टूडेंट कंचन कंवर कहती है कि आज हम चांद पर तो पहुंच गए हैं, लेकिन 6 बजे बाद महिलाओं का घर से बाहर निकलना उतना ही मुश्किल है. एक लड़की ने पीएचडी कर ली लेकिन फिर भी शाम को उसके साथ दुकान पर 5 साल का भाई जरूर जाएगा. हमें इस तरह का माहौल बिल्कुल नहीं चाहिए. हमें एक ऐसा सुरक्षित माहौल चाहिए जिससे हम आजादी की खुली सांस में अपनी उड़ान भर सके. कंचन कहती है कि स्टूडेंट होने के नाते मेरा मानना है कि जो ब्रिटिश शिक्षा दी जा रही है, उसमें बदलाव की जरूरत है.
अंग्रेज भले ही हमारे यहां से चले गए, लेकिन आज भी वह कंपटीशन की एक ऐसी शिक्षा हमारे बीच में छोड़ गए, जिसने बच्चों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है. भारत गुरुकुल की शिक्षा पद्धति पर काम करने वाला देश रहा है, लेकिन आज कंपटीशन के लिए बच्चे लड़ रहे हैं. क्रिएटिविटी या अपने लिए नहीं पढ़ रहे हैं, वो सिर्फ कंपटीशन के लिए भागे जा रहे हैं. इस तरह की शिक्षा को बदलने की जरूरत है. वैसे भी हमारा इतिहास तो गुरुकुल की शिक्षा का रहा है.
बालिका शिक्षा में सुधार हो : शिक्षिका देवयानी शर्मा कहती है कि प्रदेश में बालिका शिक्षा में सुधार की बहुत ज्यादा जरूरत है. गर्ल्स शिक्षा को बिल्कुल उच्च स्तर तक फ्री करना चाहिए. कई गरीब परिवार ऐसे हैं जो बच्चियों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते हैं, इसलिए सरकार को चाहिए कि इस तरह की बालिकाओं को बढ़ावा दे. लेखिका विजय लक्ष्मी कहती है कि महिला घर से बाहर सुरक्षित नहीं है, महिला उत्पीड़न के जिस तरह के मामले बढ़ रहे हैं, उस पर सरकार को और गंभीरता के साथ काम करने की जरूरत है.
घरेलू हिंसा के मामलों ने कई परिवारों को उजाड़ दिया है, महिलाओं की सुनवाई नहीं होती है. सरकार की ओर से इस तरह से काम करने की जरूरत है कि जो महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा हो रही है, उनके अंतर्मन की बात को समझा जा सके. निशा पारीक कहती है कि प्रदेश में जिस भी पार्टी की सरकार बने वो महिलाओं के सर्वांगीण विकास की बात ही नहीं करें, उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए. महिलाओं का स्किल डेवलपमेंट बहुत ज्यादा जरूरी है, महिलाओं को स्किल से जोड़ा जाए ताकि वो अपने पैरों पर मजबूती के साथ खड़ी हो सके.
मांग पत्र में ये बिंदु :