सोशल मीडिया पर चुनावी प्रचार जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव की भागम भाग के बीच राजनीतिक दल इस बार स्टार प्रचारकों की जनसभाओं और रैलियों के साथ-साथ काफी हद तक सोशल मीडिया पर भी निर्भर हैं. बीजेपी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर वर्चुअल लड़ाई लड़ रहे हैं. बाकायदा सोशल मीडिया के लिए एक अलग टीम एक्टिव की गई है, जो अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ एक दूसरे की खामियों को उजागर कर रही है. यही वजह है कि यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर पॉलिटिकल कंटेंट की भरमार देखी जा सकती है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार 22.04 लाख युवा मतदाता पहली बार अपने मत का प्रयोग करेंगे. इनमें से 99 फीसदी मतदाता सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, जिन्हें लुभाने के लिए राजनीतिक दलों ने इस बार सोशल मीडिया को ही माध्यम बना लिया है. पॉलिटिकल पार्टियां फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स के साथ-साथ व्हाट्सएप ग्रुप बनाते हुए अपने पॉजिटिव और विपक्षी दल के नेगेटिव पॉइंट्स को वीडियो, ग्राफिक्स और मीम्स के जरिए लोगों तक पहुंचा रही हैं.
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व्हाट्सएप ग्रुप से भी किया जा रहा प्रचार : बीजेपी के सोशल मीडिया संयोजक हीरेंद्र कौशिक ने बताया कि बीजेपी 2013 से सोशल मीडिया पर सकारात्मक तरीके से अपनी बातों को रखती आ रही है. अगर 2023 के चुनाव की बात करें तो इस बार फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के माध्यम से जनता तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. कुछ इंस्टाग्राम इनफ्लुएंसर ने भी पार्टी से संपर्क किया है. वो बीजेपी के पक्ष में वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर चुनावी प्रचार का बढ़ा ट्रेंड उन्होंने बताया कि बीते डेढ़ साल से व्हाट्सएप चेंबर में काम कर रहे हैं. अब तक करीब 32 हजार बूथों तक पहुंच बनाई है. इन व्हाट्सएप ग्रुप में न सिर्फ बीजेपी के पदाधिकारी बल्कि बूथ में रहने वाले की-वोटर भी जुड़े हुए हैं, जिनके माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुंचा रहे हैं. वहीं, टाइप ऑफ कंटेंट की बात करें तो इसमें न सिर्फ पॉलिटिकल बल्कि केंद्र सरकार की राजस्थान को लेकर उपलब्धियां और राजस्थान में भी स्पेसिफिक जिलों में क्या काम किए गए हैं. ये व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से यूजर्स के बीच भेजे रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस के पिछले 5 साल में जो फेलियर रहे हैं, इस तरह के ग्राफिकल कंटेंट और वीडियो बनाकर भेजा जा रहा हैं. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बीजेपी को जो फॉलो करता है, वो कहीं ना कहीं एक वोटर भी होगा. सोशल मीडिया के कंटेंट से उनकी मनोस्थिति पर फर्क तो पड़ता ही है.
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बीजेपी कांग्रेस को बदनाम करती है : वहीं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सोशल मीडिया विभाग के संयोजक सौरभ राय ने बताया कि कांग्रेस पार्टी की नियत और नीति जनता के लिए रही है. पीसीसी लगातार अपने कंटेंट को जनता के बीच पुश करती है. जनकल्याणकारी योजनाओं का लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. चुनाव के दौरान सोशल मीडिया इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि बीजेपी का प्रचार तंत्र बदनाम और डीफेम करने की कोशिश करता है. उसको काउंटर करने के लिए सोशल मीडिया टीम अहम भूमिका निभाती है. कोशिश यही है कि जो सही है जनता तक साक्ष्य के साथ रख रहे हैं.
सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों के फॉलोअर्स वहीं, पीसीसी के सोशल मीडिया संयोजक सुमित भगासरा ने कहा कि जितने भी संगठन के साथी हैं, सोशल मीडिया पर वो लगातार काम कर रहे हैं. केंद्रीय बॉडी से जो दिशा-निर्देश मिल रहे हैं, उन पर काम किया जा रहा है. इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. व्हाट्सएप चैनल बनाए गए हैं. क्रिएटर जन कल्याणकारी योजना की स्टोरी बना रहे हैं. साथ ही बीजेपी ने सोशल मीडिया पर जो झूठ की फैक्ट्री लगा रखी है, उन्हें डीबंक करने के लिए भी एक विंग बनाई गई है. बहरहाल, प्रदेश में चुनावी माहौल चरम पर है. शब्दबाणों के साथ राजनेता एक-दूसरे को घेरने में जुटे हैं. इसके इतर राजनीतिक दल और राजनेता वर्चुअल प्लेटफार्म पर भी अपनी ताकत दिखा रहे हैं.