जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस के परम्परागत मिर्धा परिवार से आने वाली पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़कर जाने पर भले ही कांग्रेस के नेताओं के कोई भी विचार रहे हों, लेकिन गुजरात के प्रभारी हरीश चौधरी ने ज्योति मिर्धा के जाने को कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान और शोध का विषय बताया है. हरीश चौधरी ने कहा कि जो मिर्धा परिवार कांग्रेस की पहचान रहा, 5 साल में नागौर में ऐसा क्या हुआ कि खींवसर विधानसभा उपचुनाव के समय जी जान से पार्टी के साथ लगने वाली ज्योति मिर्धा को पार्टी छोड़नी पड़ी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नागौर में बहुत मजबूत थी, वहां कभी सौदेबाजी या सुपारी की राजनीति नहीं होती थी. यह सौदेबाजी और सुपारी की नई संस्कृति राजस्थान की राजनीति में लाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल के ना कोई विचार हैं, ना कोई सिद्धांत और ना हीं कार्यक्रम. बेनीवाल ने सिर्फ विवादों के माध्यम से लोगों के बीच अपना स्थान बनाया और पंचायत राज के नतीजे देखें तो पता लगता है कि जनता भी उनकी राजनीति को पसंद नहीं करती.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बेनीवाल वोटों के लिए एक बार भाजपा के खिलाफ, एक बार भाजपा के साथ, कभी राइट विंग के साथ तो कभी लेफ्ट विंग के साथ दिखाई देते हैं. हरीश चौधरी ने कहा कि अगर खींवसर उपचुनाव का निष्पक्ष आकलन किया जाए तो पता चल जाएगा कि किसने उस उपचुनाव में सौदेबाजी की, जिसमें ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस को जीतने के लिए ईमानदारी से काम किया.
गहलोत पर निशाना, कहा- पहले मारवाड़ कमजोर हुआ अब नागौर : हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने दोहराया कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी (गहलोत) प्रायोजित पार्टी है. यह निष्पक्ष तौर पर कोई भी आकलन करे तो उसे पता चल जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बात का पता लगाना चाहिए कि क्या कारण हुआ कि पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाने वाले मारवाड़ में से पाली, जालोर, सिरोही कांग्रेस से क्यों छिटके. उन्होंने कहा कि यह नई तरीके की सौदेबाजी और सुपारी की राजनीति वाली संस्कृति पैदा करने की कोशिश राजस्थान में हुई है, जिसका कांग्रेस को नुकसान हुआ है.
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बेनीवाल से गठबंधन कांग्रेस का चोला पहनकर बैठा व्यक्ति ही सोच सकता : हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन को लेकर हरीश चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी की विचारधारा वाली पार्टी है. हनुमान बेनीवाल की तरह राजनीतिक कांग्रेस का कोई व्यक्ति कल्पना में भी नहीं सोच सकता. उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल ने जिस तरह से कांग्रेस और देश के प्रति बातें रखी, उससे तो साफ है कि हनुमान बेनीवाल के गठबंधन का प्रस्ताव भी कोई कांग्रेस का व्यक्ति नहीं रख सकता. उन्होंने कहा कि इस गठबंधन के लिए वह जरूर सोच सकता है, जो कांग्रेस का चोला पहनकर बैठा है और किसी अन्य विचारधारा का व्यक्ति है. अन्यथा कांग्रेस का व्यक्ति इस बारे में सोच भी नहीं सकता.