जयपुर.कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वायनाड से सांसद राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा (Rahul Gandhi on Bharat Jodo Yatra) पर हैं. राजस्थान में मची सियासी उथल-पुथल की खबरों के बीच (Rajasthan political crisis) कर्नाटक के मांड्या में राहुल गांधी आज पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे. चर्चा है कि राजस्थान के सियासी संकट को दूर करने के लिए राहुल गांधी सोनिया से बात करेंगे और कोई समाधान निकालेंगे. इस चर्चा ने राजस्थान में बैठे गहलोत और पायलट के समर्थकों में बेचैनी बढ़ा दी है.
पार्टी की मानें तो दशहरा पर्व के चलते भारत जोड़ो यात्रा पर 2 दिन का ब्रेक (Rahul Gandhi on Dussehra break) लगा है. कर्नाटक के मांड्या से आगामी 6 अक्टूबर को फिर से यात्रा की शुरुआत होगी. 6 अक्टूबर को जब यह यात्रा शुरू होगी तो उसमें राहुल गांधी के साथ कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी (Congress President Sonia Gandhi) मौजूद रहेंगी. सोनिया गांधी इस यात्रा में हिस्सा लेने के लिए 2 दिन पहले ही कर्नाटक पहुंच चुकी हैं.
4 और 5 अक्टूबर को सोनिया गांधी कर्नाटक के मांड्या में ही (Sonia Gandhi reaches Karnataka) रुकेंगी, जहां राहुल गांधी भी मौजूद होंगे. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच पार्टी में जारी सियासी उठापटक व घटनाक्रमों को लेकर बातचीत होने की संभावना है. इस बीच राजस्थान की सियासी घमासान पर भी चर्चा तय मानी जा रही है. साथ ही सीएम गहलोत के समर्थक विधायकों के अड़ियल रुख से निपटने के बाबत भी बातचीत हो सकती है. इसके अलावा राजस्थान सरकार की कमान और संगठन के भविष्य पर भी नीतिगत फैसले लिए जा सकते हैं.
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राजस्थान की सियासी उठापटक को लेकर बीते 29 सितंबर को कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि अगले 2 दिन में सूबे के सीएम पर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन आज 6 दिन बीत चुके हैं. बावजूद इसके किसी भी तरह की कोई सुगबुगाहट नहीं है. लेकिन अब यह माना जा रहा है कि राहुल-सोनिया की मुलाकात के दौरान सभी लंबित मसलों पर विस्तार से चर्चा होगी. इसके बाद बनने वाली रणनीति पर 19 अक्टूबर के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा, क्योंकि 19 अक्टूबर को कांग्रेस को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने जा रहा है. इसके बाद ही पार्टी संभवतः राजस्थान के सीएम को लेकर कोई निर्णय लेगी.
इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि राजस्थान से 400 सदस्य पार्टी के अध्यक्ष पद चुनाव में मतदान करने वाले हैं. यदि सीएम को लेकर अभी कोई निर्णय लिया जाता है तो फिर मतदान के दौरान खेल होने की संभावना बढ़ जाएगी. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर पीसीसी सदस्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कैंप से हैं. ऐसे में चुनावी प्रक्रिया में किसी तरीके की कोई बाधा न हो, इसी लिए पार्टी ने 19 अक्टूबर के बाद राजस्थान की सियासी भविष्य पर फैसला लेने का निर्णय लिया है.
एक नजर संभावित रणनीति पर
- राजस्थान में 19 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई फैसला नहीं किया जाए और पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का मतदान हो जाने दिया जाए.
- महेश जोशी, शांतिलाल धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को मिले कारण बताओ नोटिस के जवाब का इंतजार किया जाए.
- राजस्थान में नए पर्यवेक्षक बनाकर भेजे जाएं, जो विधायकों की रायशुमारी करें.
- इस बार कांग्रेस पार्टी बिना रायशुमारी के कोई प्रस्ताव ले जाने की जल्दबाजी नहीं करें.
- सीएम गहलोत अगला बजट पेश करना चाहते हैं. ऐसे में गहलोत को जल्द बजट लाने के लिए समय दिया जाए और उसके बाद उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष या किसी अन्य पद पर एआईसीसी में बुला लिया जाए.
- विधायकों की नाराजगी देखते हुए सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 2023 के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जाए.
- सचिन पायलट को 2023 चुनाव के लिए राजस्थान का चेहरा घोषित कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए और मुख्यमंत्री आलाकमान अपनी पसंद से ऐसे चेहरे को बनाएं जिस पर दोनों पक्षों को विवाद नहीं हो.