जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई सरकार के अपने अंतिम वर्ष में प्रवेश करने के बावजूद बंद नहीं हुई है. सीएम गहलोत 10 जनवरी को अपना बजट पेश करने जा रहे हैं तो वहीं पायलट अपने पांच दिवसीय किसान सम्मेलन में गहलोत को निशाना बनाते नजर आ रहे हैं. पायलट लगातार सीएम पर हमले करते हुए कह रहे हैं कि सरकार रिपीट कैसे होगी जिस पर गहलोत ने अपना 'फॉर्मूला 156' पेश कर दिया है. गहलोत ने न केवल सरकार रिपीट करने के लिए अपने काम को आगे रखने की बात कही, बल्कि साफ कह दिया की राजस्थान की जनता गहलोत को ही मुख्यमंत्री देखना चाहती है. इसी के चलते 2009 और 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी.
156 सीटों की जीत पर पायलट और गहलोत का बयान
सचिन पायलट लगातार एक बात अपनी मीटिंग में कहते दिख रहे हैं कि राजस्थान में जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो कांग्रेस की केवल 21 सीटें थीं जिन्हें 5 साल संघर्ष कर उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बहुमत वाली 100 सीटों तक पहुंचाया. अब गहलोत ने इस बात का जवाब देते हुए साफ कर दिया कि बहुमत कोई पायलट की मेहनत से नही आया था बल्कि वह तो 1998 में ही अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को 156 सीटों पर जीत दिला चुके हैं.
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सरकार बनने के पायलट और गहलोत के अलग-अलग कारण
सचिन पायलट लगातार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगाते आ रहे हैं. पायलट अक्सर यह कहते नजर आते हैं कि राजस्थान की सरकार युवाओं, किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून पसीने की मेहनत से बनी है. जबकि गहलोत ने इस बात का भी जवाब देते हुए साफ कर दिया है कि कार्यकर्ताओं की मेहनत हमेशा अपनी जगह होती है, लेकिन राजस्थान में जनता कांग्रेस सरकार जाने के 6 महीने बाद ही हमारी सरकार के अच्छे कामों को याद करने लग जाती है. लोग मुख्यमंत्री गहलोत को भला आदमी कहते हैं और फिर मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें देखने लगते हैं. यही कारण है कि 2009 और 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में जनता की आवाज खुदा की आवाज होती है और उसी के चलते मैं मुख्यमंत्री बनता हूं.
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