जयपुर. राजस्थान सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए कानून लाने जा रही है, साथ ही मूक बधिरों की व्यथा समझने के लिए कार्मिकों को सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा जिला अस्पतालों में बेरा डिवाइस लगेंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएमओ में अलग-अलग संगठनों के लोगों से मुलाकात कर उनकी पीड़ा को समझा, साथ ही कई आवश्यक दिशा निर्देश दिए. सामाजिक संगठनों के दबाव के बीच अब राजस्थान की सरकार सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए नई नीति लाने जा रही है. सरकार ने सभी स्तर पर सुझाव को कथित करके अब इसे कानूनी रूप के साथ लागू करने के लिए हरी झंडी दे दी है.
अब केबिनेट सर्कुलेशन के जरिये सिलिकोसिस पीड़ितों के नई नीति लागू करेगी. सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सीएमओं में दिव्यांग जनों मूक बधिर सहित समाज के विभिन्न जरूरतमंद तबकों की समस्याओं से रूबरू हुए. सीएम ने मूक बधिरों को दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जिला अस्पतालों में बेरा डिवाइस लगाने की मांग के संदर्भ में उपस्थित अधिकारियों को परीक्षण करने के निर्देश दिए है. मुख्यमंत्री से प्रदेशभर के आए दिव्यांग जनों, मुख बधिरों, घुमंतू अर्ध घुमंतू और विमुक्त जातियों, अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के उद्यमियों, अल्पसंख्यक, निजी विद्यालयों, नॉन टीएसपी क्षेत्र की महिलाओं आदि ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी समस्या रखी.
मूक बधिरों को थाना और अस्पताल में मिलेगा इंटरप्रेटर -
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अस्पताल और थाना जैसी जगहों पर संवेदनशीलता के साथ अधिकारी मुकदमों की सुनवाई कर सके इसके लिए इंटरप्रेटर उपलब्ध कराने के लिए कहा, साथ ही आमजन से जुड़े सरकारी कार्यालयों कार्मिकों को सांकेतिक भाषा के विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए, मोबद्रो की दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया अधिक प्रमाणिक बनाने के लिए जिला अस्पताल में बेरा डिवाइस लगाने के निर्देश देते हुए गहलोत ने कहा कि इससे बोगस प्रमाण पत्र बनाने पर रोक लगेगी. मूक बधिरों की सांकेतिक भाषा समझने वाले विशेषज्ञों और अध्यापकों को उनके लिए स्थापित शिक्षण संस्थाओं में पद स्थापित किया जाए.