जयपुर. स्कूल शिक्षा के बाद कॉलेज में प्रवेश करने वाले छात्र और शिक्षकों में नियमितता का अभाव रहता है, जिसका असर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पड़ता है. ऐसे में अब प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में छात्रों और शिक्षकों की मॉनिटरिंग के लिए उच्च शिक्षा विभाग एक सॉफ्टवेयर विकसित करा रहा है. जिस पर डीओआईटी ने काम भी शुरू कर दिया है. हालांकि यूनिवर्सिटीज के लिए अंतिम फैसला राजभवन से लिया जाएगा.
वर्ष 2018 तक प्रदेश में सामान्य शिक्षा के 250 महाविद्यालय थे. लेकिन बीते चार वर्ष में 211 नए कॉलेज और 42 नए कृषि महाविद्यालय खोले गए. लेकिन इन कॉलेजों में कभी छात्र तो कभी शिक्षक नदारद रहते हैं. ऐसे में अब शिक्षकों और छात्रों की मॉनिटरिंग के लिए एक सिस्टम डवलप किया जा रहा है. उच्च शिक्षा विभाग ने डीओआईटी के जरिए एक सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है ताकि छात्रों ही नहीं बल्कि कॉलेज के शिक्षकों पर निगरानी रखी जा सके. इस संबंध में बीते दिनों उच्च शिक्षा मंत्री ने निर्देश भी जारी किए थे. हालांकि फिलहाल उच्च शिक्षा विभाग सरकारी कॉलेजों के सॉफ्टवेयर पर ही काम कर रहा है जबकि यूनिवर्सिटीज के लिए राजभवन निर्देशित करेगा.
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इस सम्बंध में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि उच्च शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने, इस क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं की गुणवत्ता सुधारने और जवाबदेही तय करने के लिए ये पहल की जा रही है. उन्होंने बताया कि कॉलेज में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए विद्या संबल योजना के तहत गेस्ट फैकल्टी भी लगाई गई है. इसके अलावा राज्य शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए महाविद्यालयों में सेमेस्टर परीक्षा प्रणाली और विकल्प आधारित क्रेडिट सिस्टम को लागू करने की दिशा में जरूरी प्रयास और बदलाव भी किए जाएंगे.
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बहरहाल, एक तरफ राज्य सरकार शिक्षकों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था शुरू करने जा रहा है. दूसरी तरफ विद्या संबल योजना के तहत कॉलेजों में लगाई गई गेस्ट फैकल्टी की छंटनी का दौर जारी है. जिसकी वजह से योजना के तहत लगे हुए शिक्षकों में आक्रोश है और बड़ी संख्या में शिक्षक कार्य बहिष्कार भी कर रहे हैं. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग को मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर विकसित करने के साथ-साथ, शिक्षकों की स्थाई भर्ती, विद्या संबल योजना से हटाए गए शिक्षकों को दोबारा नियुक्त करने और गेस्ट फैकल्टी के शिक्षकों के लिए विशेष कैडर बनाने की मांग भी उठ रही है.