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विधायक ने उठाई बकरा चोरी जांच की मांग, कहा- क्या किसी नेता की 'पार्टी' का हिस्सा बन गए ?

बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने विधानसभा में सिरोही किस्म के बकरे पशुपालकों को नहीं मिलने का मामला उठाते हुए जांच की मांग की है. इस दौरान उन्होंने बड़ी दिलचस्प बात कही.

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Published : Mar 14, 2023, 5:52 PM IST

Updated : Mar 14, 2023, 8:52 PM IST

MLA Rajkumar Roat in assembly asked about the Sirohi Goats scheme for cattle farmers
विधायक ने उठाई बकरा चोरी जांच की मांग, कहा-क्या किसी नेता की 'पार्टी' का हिस्सा बन गए...

विधायक ने उठाई बकरा चोरी जांच की मांग

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को कृषि और पशुपालन विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान भारतीय ट्राइबल पार्टी के डूंगरपुर से विधायक राजकुमार रोत ने सरकार से ऐसी चोरी की जांच कि मांग रखी, जिस पर विधानसभा में बैठा हर कोई विधायक हंसने लगा. रोत ने कहा कि पशुपालन विभाग की कई योजनाएं ट्रस्ट और एनजीओ के माध्यम से चलती हैं. यही एनजीओ सरकार की योजना किसानों तक पहुंचाते हैं, लेकिन मैंने 4 साल का आंकड़ा निकाला तो सिरोही नस्ल के बकरे जो एनजीओ के जरिए पशुपालकों को देने का प्रावधान किया गया.

वो सिरोही किस्म के बकरे साल 19-20 से लेकर अब तक डूंगरपुर के आधा दर्जन गांव में कहने को तो पशुपालकों को दिए गए, लेकिन हकीकत ये है कि ये बकरे किसी राजनेता की पार्टी की बलि चढ़ गए. राजकुमार रोत ने कहा कि यह बकरे पशुपालकों को नहीं मिले और प्रभुत्व वाले लोगों तक पहुंच गए. रोत ने सरकार से इस मामले में जांच की मांग करते हुए कहा कि जांच होनी चाहिए कि आज दुनिया में वे बकरे हैं या किसी पार्टी के राजनेता की पार्टी की बलि चढ़ गए. वे कौन सी पार्टी के नेता हैं जिनके पार्टी का हिस्सा वह बकरे बन चुके हैं. इस पर विधानसभा में सभी हंसने लगे और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने खड़ा होकर कहा कि मुझे पता है कि आप भी उस पार्टी में गए थे.

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डूंगरपुर कहने को पहला जैविक जिला लेकिन यह केवल कागजों में:अपनी बात रखते हुए बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने यह भी कहा कि जब वह कंपटीशन एग्जाम की तैयारी करते थे, उस समय यह कहा जाता था कि डूंगरपुर राजस्थान का वह पहला जिला है जो जैविक जिला है. लेकिन यह जैविक जिला केवल कागजों में बनकर रह गया है. इसे बचाने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि आज हालात यह है कि डूंगरपुर में डीएपी और यूरिया का जमकर इस्तेमाल हो रहा है, जबकि हम आदिवासी डीएपी और यूरिया का इस्तेमाल नहीं चाहता.

Last Updated : Mar 14, 2023, 8:52 PM IST

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