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जयपुर में मंत्रालयिक कर्मचारियों का महापड़ाव जारी, कहा- आश्वासन नहीं आदेश चाहिए

राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन एक के बाद एक धरना प्रदर्शन और आंदोलनों ने राज्य की गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है. इसी कड़ी में अब मंत्रालयिक कर्मचारी भी अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से ही महापड़ाव पर (Ministerial employees continues mahapadav) हैं.

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Published : Apr 18, 2023, 3:24 PM IST

Ministerial employees continues mahapadav
Ministerial employees continues mahapadav

जयपुर.राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी साल में प्रदेश के कर्मचारी सरकार पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने लगे हैं. यही वजह है कि अब मंत्रालयिक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी जयपुर में महापड़ाव डाल दिया है. राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर सोमवार से जयपुर में शुरू हुआ महापड़ाव मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है. महासंघ ने साफ कर दिया है कि इस बार सरकार से आश्वासन नहीं, बल्कि आदेश चाहिए और जब तक सरकार आदेश जारी नहीं करेगी, उनका महापड़ाव इसी तरह से जारी रहेगा.

राजधानी में महापड़ाव - राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ की ओर से महापड़ाव का ऐलान कर दिया गया है. महासंघ अध्यक्ष राज सिंह चौधरी ने बताया कि पिछले चार वर्षों से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन मौजूदा सरकार कर्मचारियों के हितों में कोई भी कदम नहीं उठा रही है. जिससे कर्मचारियों में आक्रोश का माहौल बढ़ता जा रहा है. इसी को लेकर पिछले चार सालों में राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के हर जिले में धरना प्रदर्शन, क्रमिक अनशन, भूख हड़ताल सब करके देख लिया गया. लेकिन राज्य सरकार की बेरुख रवैए से दुखी कर्मचारियों के सामने अब महापड़ाव डालने के सिवा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था. चौधरी ने कहा कि कर्मचारियों को इस बजट से काफी उम्मीदें थी, लेकिन सरकार ने जो बजट पेश किया उससे कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी 11 सूत्रीय मांग पत्र को पूरा नहीं करती है, तब तक उनका महापड़ाव जारी रहेगा.

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विभागों में सन्नाटा -महासंघ के आह्वान पर शुरू हुए इस महापड़ाव में प्रदेश के 33 जिलों और सभी उपखंड मुख्यालयों सहित जयपुर के 50 विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारी शामिल हैं. इसमें सभी जिला कलेक्टर, उपखंड कार्यालय, पंचायती राज विभाग के सभी पंचायत समितियों और जिला परिषदों के मंत्रालयिक कर्मचारियों के साथ ही परिवहन विभाग, वाणिज्य कर विभाग, पंजियन मुद्रांक विभाग, आबकारी सहित सभी राजस्व विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारी शामिल हैं. इधर, 50 हजार मंत्रलयिक कर्मचारियों के अवकाश पर होने के कारण प्रदेश के सरकारी ऑफिसों में सन्नाटा पसरा हुआ है. कर्मचारियों के एक साथ अवकाश पर जाने से आमजनों को छोटे-मोटे कामों के लिए भी परेशानी हो रही है. रोजमर्रा की फाइलों पर इन्हीं मंत्रलयिक कर्मचारियों की निगरानी में काम काज होता है. वहीं, कर्मचारियों के महापड़ाव पर सरकार ने भी नजर बनाई हुई है.

ये हैं प्रमुख मांगें - पदोन्नति के प्रथम पद वरिष्ठ सहायक की ग्रेड पे के समकक्ष व अन्य कैडर जैसे ग्राम विकास अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षक के अनुरूप 2800 के स्थान पर 3600 की जाए. इसके साथ ही सहायक प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 4200, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी (राजपत्रित अधिकारी) की ग्रेड पे 4800, प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 6600 और संस्थापन अधिकारी की ग्रेड पे 7800 की जाए.

इसके अलावा साल 2013 में किए गए प्रारम्भिक वेतन 9840 को पुनर्स्थापित कर सातवे वेतन आयोग के अनुसार मूल वेतन 25500 निर्धारण संबंधी आदेश जारी किए जाएं. वहीं, पंचायती राज संस्थाओं में अधीनस्थ विभागों के लिए तय मानदंडों (कैडर के 53 प्रतिशत उच्च पद) के अनुसार पदोन्नति के पद सृजित किए जाएं. साथ ही अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग में वरिष्ठ सहायक और कनिष्ठ सहायक के पदों का नॉर्मस कुल पदों के 24 व 47 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, उसे क्रमशः 31 व 40 प्रतिशत किया जाए और पदोन्नति के 26000 में से शेष रहे 7000 पद स्वीकृत किए जाएं.

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