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Rajasthan Vidhansabha: सदन में आत्मरक्षा को जारी हथियारों के लाइसेंस और रिक्त पदों पर भर्तियों का उठा मुद्दा - राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल

आज राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर विपक्ष की ओर से सवाल किए गए. जिसमें मुख्य रूप से गृह व शिक्षा विभाग से संबंधित सवाल शामिल (Issue of recruitment raised in Vidhansabha) रहे.

Rajasthan Budget Session
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Published : Feb 16, 2023, 6:12 PM IST

राजस्थान विधानसभा बजट सत्र

जयपुर.विधानसभा बजट सत्र का प्रश्नकाल गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह विभाग के सवाल से शुरू हुआ. पहला प्रश्न विधायक नारायण बेनीवाल ने किया. बेनीवाल ने आत्मरक्षा के लिए जारी हथियार लाइसेंस का ब्यौरा मांगा. वहीं, सदन में स्कूल-कॉलेजों में रिक्त पदों पर भर्ती का मुद्दा भी उठा. इस पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि सरकार पहले ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाफ नियुक्त करे.

दरअसल, नागौर के खींवसर से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक नारायण बेनीवाल ने पिछले दो साल में नागौर जिले में आत्मरक्षा के लिए हथियार के आवेदन और जारी किए गए लाइसेंस का ब्यौरा मांगा. जिसका जवाब सीएम गहलोत की ओर से पूर्व गृह मंत्री व मौजूदा काबीना मंत्री शांति धारीवाल ने दिया. धारीवाल ने कहा कि नागौर में बीते दो सालों में 66 लोगों ने आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन इनमें से किसी को भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि प्राप्त 66 आवेदनों में से 46 आवेदन में पुलिस अधीक्षक, सीआईडी, तहसीलदार और वन विभाग की रिपोर्ट नहीं मिले हैं. वहीं, 19 आवेदन जिला मजिस्ट्रेट स्तर पर प्रक्रियाधीन हैं. जबकि एक आवेदन निरस्त कर दिया गया है. धारीवाल ने बताया कि हथियार लाइसेंस के आवेदन को मंजूर करना या निरस्त करना जिला कलेक्टर पर निर्भर करता है. वे पूर्व में तय मापदंडों के आधार पर आवदेन पर कोई फैसला लेते हैं. इसमें सरकार की ओर से कई तरह के नार्म्स बनाए गए हैं. उन नार्म्स के आधार पर ही केटेगरी डिसाइड है. ऐसे में अंतिम निर्णय जिला कलेक्टर को ही लेना होता है.

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पूर्व व मौजूदा शिक्षा मंत्री आमने-सामने -वहीं, सदन में स्कूल-कॉलेजों में स्टाफ की कमी का सवाल भी उठा. स्कूल शिक्षा मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री और अजमेर उत्तर से भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा पर सवाल किया. उन्होंने पूछा कि वर्तमान सरकार ने पूर्व सरकार के स्टाफिंग पैटर्न को जारी रखा है या फिर उसमें कोई बदलाव किया गया है. जवाब शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि 30 अप्रैल, 2015 के आदेश के अनुसार शिक्षण व्यवस्था में स्टाफिंग पैटर्न लागू हुआ था.

इस पैटर्न की समय-समय पर समीक्षा होती रही है और उसी आधार पर क्रमोन्नत हुए स्कूलों में भर्तियां कर स्टाफ उपलब्ध करवाए गए हैं. शिक्षा मंत्री कल्ला ने बताया कि अब तक जो स्कूल क्रमोन्नत हुए हैं, उनमें 61 हजार 984 नए पद सृजित हुए हैं. जबकि 90 हजार पदों पर भर्तियां प्रक्रियाधीन है. मंत्री ने आश्वस्त किया कि जिन भी स्कूलों में स्टाफ की कमी की जानकारी मिलेगी, वहां जल्द ही नियुक्ति की जाएगी.

कॉलेज फैकल्टी का मुद्दा - सुमेरपुर से विधायक जोगाराम कुमावत ने सवाल किया कि सरकार ने कन्या महाविद्यालय तो खोल दिए, लेकिन इन कन्या महाविद्यालय में सब्जेक्ट के लिहाज से स्टाफ नियुक्त नहीं हुए हैं. ऐसे में सरकार को बताना चाहिए कि कब कॉलेजों में स्टाफ की नियुक्ति की होगी ? जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री राजेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि जहां-जहां भी आवश्यकता महसूस हो रही है, वहां उपलब्धता के आधार पर स्टाफ नियुक्त किए जा रहे हैं. कॉलेज स्टाफ की कमी है, इसकी वजह से कुछ कॉलेजों में दिक्कतें आ रही है.

सरकार दे विशेष ध्यान - इस पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कस्बों में खुलने वाले कॉलेजों में पहले स्टाफ की व्यवस्था हो, क्योंकि जिला मुख्यालय पर तो प्राइवेट फैकल्टी भी उपलब्ध हो सकती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट फैकल्टी उपलब्ध नहीं होती है. ऐसे में सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए कि पहले दूरदराज के कस्बों में खुले कॉलेजों में स्टाफ की नियुक्त हो.

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