जयपुर. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस आज मनाया जा रहा है. प्रदेशभर के 48 नर्सों को बिड़ला ऑडिटोरियम में प्रदेश स्तरीय समारोह में फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड देकर सम्मानित किया जा रहा है. इनमें सवाई मानसिंह अस्पताल के मनोज दुब्बी, सुनील कुमार पत्रिया, हेमराज गुप्ता और दिनेश बागड़ी भी शामिल हैं. मनोज दुब्बी ने छह साल तक ऐसे मरीजों की सेवा की है. जिनकी कोई खबर लेने वाला भी नहीं था. हेमराज गुप्ता कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहे मरीजों को हौसला दे रहे हैं. सुनील कुमार पत्रिया आज की सबसे बड़ी समस्या बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं. वहीं, दिनेश बागड़ी ऑर्गन डोनेशन को लेकर लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर कर रहे हैं.
मरीजों के आंसू पोंछने में जो खुशी, उससे बड़ा कोई सम्मान नहीं : सीनियर नर्सिंग अधिकारी हेमराज गुप्ता बताते हैं कि वे 32 साल से इस पेशे से जुड़े हैं. इस दौरान हमेशा तन, मन और धन से मरीजों की सेवा करने का प्रयास किया. मरीजों और परिजनों के आंसू पोंछने में जो सुकून मिलता है. वही सबसे बड़ा सम्मान है. उन्होंने 20 साल तक एसएमएस अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग में काम किया है. हीमो डायलिसिस के इंचार्ज भी रहे. प्रदेशभर से मरीज और उनके परिजन समय और पैसे खर्च कर आते और किसी कारण से उनका डायलिसिस नहीं हो पाता था तो दुख होता था. इस पर काफी मनन कर एक प्रोजेक्ट तैयार किया और अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में उनके पास भिजवाया और उन्होंने डायलिसिस के उपकरण निशुल्क मुहैया करवाने की व्यवस्था की. जिलों में डायलिसिस मशीन लगाने का आइडिया भी उनका था. अभी वे कैंसर विभाग में सेवाएं दे रहे हैं. कोरोना काल में कोविड वैक्सीनेशन के प्रभारी के तौर पर भी काम किया और 15 वैक्सीनेशन सेंटर विकसित किए. वे बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति को पता चलता है कि उसे कैंसर है तो उस पर क्या बीतती है. यह बयां करना मुश्किल है. उन्हें खुशी देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाता है. ताकि उन्हें जीने का हौसला मिल सके.
जिन्हें देखकर लोगों को घिन आती थी, उन मरीजों की सेवा में जुटे : सवाई मानसिंह अस्पताल के कैंसर वार्ड में कार्यरत नर्स मनोज दुब्बी ने 6 साल तक आइसोलेशन वार्ड में काम किया. साथ ही वे 21 बार रक्तदान भी कर चुके हैं. वे बताते हैं कि उन्होंने 2009 में नर्सिंग कोर्स में प्रवेश लिया था. इसी दौरान साल 2010 में पहली बार रक्तदान किया. उस समय अनूठी खुशी का एहसास हुआ. अब तक 21 बार रक्तदान कर चुके हैं. साल 2014 में सवाई मानसिंह अस्पताल में ज्वॉइन किया और अगले ही साल आइसोलेशन वार्ड में आगे होकर काम किया. यह एक ऐसा विभाग है. जहां लावारिस मरीजों की सेवा करने का मौका मिलता है. इनमें से अधिकांश वे होते हैं. जिनका कोई परिजन-परिचित नहीं होता है और उन्हें सड़क से उठाकर अस्पताल पहुंचाया जाता है. कई बार तो ऐसे मरीजों के शरीर में कीड़े भी पड़ जाते हैं. ऐसे मरीजों को इस वार्ड में लाकर उनकी सेवा की जाती है. टिटनेस और हाइड्रोफोबिया के मरीजों का भी उन्होंने उपचार किया.
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