राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर जयपुर.राजस्थान के नए ऊर्जा मंत्री के रूप में कैबिनेट मंत्री हीरालाल नागर ने आज सोमवार को सचिवालय के मंत्रालय भवन में कार्यभार ग्रहण कर लिया है. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने पदभार ग्रहण किया. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट मुफ्त बिजली हो या किसानों को निशुल्क बिजली. कांग्रेस राज की सभी योजनाओं का रिव्यू किया जाएगा और उन योजनाओं को लेकर आगे क्या निर्णय लिया जाएगा. इस पर बैठकर फैसला लिया जाएगा.
हीरालाल नागर ने कहा, ''ऊर्जा विभाग प्रदेश का महत्वपूर्ण और आमजन से सीधा जुड़ा हुआ विभाग है. हम आज बिजली के बिना रह नहीं सकते हैं. इस महकमे को लेकर जिस तरह का संकट है और जो चुनौतियां हैं. उसमें सुधार पर चर्चा के लिए आज पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए मंथन किया जाएगा, जहां भी सुधार की दरकार है, आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. किसानों को दिन में सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति दी जाए. इस पर फोकस रहेगा. प्रदेश की उत्पादन इकाइयों में कई बार सही उत्पादन नहीं होता है. इसे गंभीरता से देखेंगे.''
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सौर ऊर्जा में सिरमौर, इसे बढ़ाएंगे :ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में देश मे अग्रणी राज्यों में शुमार है. राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल हैं. ऐसे में सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है. इस पर गंभीरता से काम किया जाएगा. परंपरागत माध्यम से बिजली उत्पादन की बजाए ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने पर भी विचार किया जाएगा.
बिजली कंपनियों का कर्ज बड़ी चुनौती : हीरालाल नागर ने कहा कि बिजली कंपनियों पर लगातार बढ़ता कर्जा बड़ी चुनौती है. पहले जब भाजपा की सरकार थी तो इस कर्जे को कम करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का सरकार ने प्रावधान किया था. लेकिन कांग्रेस के राज में यह फिर से बढ़कर एक लाख करोड़ से ज्यादा का कर्जा हो गया है. कांग्रेस राज में एक भी नई इकाई नहीं बनाई गई.
रिव्यू हर चीज का होगा :घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट मुफ्त बिजली और किसानों को मुफ्त बिजली की योजनाओं को लेकर मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि रिव्यू हर चीज का होगा. इस बात की ऑडिट भी होगी कि कहां कमी है. जिसे ठीक किया जा सकता है. कोयले की कमी एक बड़ी चुनौती है. छत्तीसगढ़ से जहां कोयला आना है. वहां से लेकर थर्मल पावर प्लांट की एक-एक व्यवस्था की ऑडिट होगी. ताकि यह पता लगाया जा सके कि जितना कोयला आ रहा है. उस अनुपात में बिजली का उत्पादन हो रहा है या नहीं. क्योंकि थर्मल पावर प्लांट में 85 फीसदी कोस्ट कोयले की होती है.