जयपुर. राजस्थान में शातिर साइबर ठग तेजी से अपना जाल फैला रहे हैं. बात अगर बीते दो साल की करें तो शातिर साइबर ठगी करने वाले गिरोह से जुड़े बदमाशों ने एक लाख लोगों को अपना शिकार बनाकर उनसे 401 करोड़ रुपए की ठगी कर चुके हैं. इनमें से कुछ बदमाश पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. जिन लोगों के साथ ठगी हुई है, उन्हें उनकी रकम वापस नहीं मिल पाती है. एक तरफ जहां ठगी की रकम 400 करोड़ रुपए से ज्यादा है. वहीं, ऐसे मामलों की जानकारी मिलने पर पुलिस ने 37 करोड़ रुपए की ठगी की रकम बैंक खातों में होल्ड करवा दी है. जबकि रिफंड करीब 14 लाख रुपए ही हो पाए हैं. अब पुलिस ने साइबर ठगी की रकम शातिर ठगों की जेब में जाने से रोकने के लिए नई तरकीब अपनाई है.
डीजी (साइबर क्राइम एवं तकनीकी सेवाएं) रवि प्रकाश मेहरड़ा का का कहना है कि सभी जिलों के एसपी को प्रिवेंटिव एक्शन लेते हुए ठगी के मामलों में बैंक खातों की जानकारी सामने आने पर उन खातों को ब्लॉक करवाने के निर्देश जारी किए हैं. ताकि ठगी की रकम शातिर बदमाशों की जेब में नहीं जा सके. यह मॉडल सबसे पहले प्रतापगढ़ पुलिस ने अपनाया था. इसलिए इसे साइबर ठगी पर लगाम लगाने का प्रतापगढ़ मॉडल कहा जा रहा है. इसके साथ ही सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिए गए हैं कि साइबर ठगी के मामलों में लगातार पीछा कर गहराई से तफ्तीश की जाए ताकि पूरे गिरोह का खुलासा हो सके और साइबर ठगी करने वाले गिरोहों की कमर टूट सके.
पढ़ें:Special : राजस्थान का साइबर क्राइम कैपिटल बना भरतपुर, नेता, अधिकारी भी हो चुके हैं फ्रॉड के शिकार
साइबर ठग स्नैचर्स से खरीद रहे मोबाइल और सिम: साइबर ठगी करने वाले गिरोहों के तार मोबाइल स्नैचर्स गिरोहों से भी जुड़े होने की जानकारी सामने आई है. दरअसल, इस तरह की वारदातों को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश पुलिस से बचने के लिए अपने नाम से मोबाइल और सिम खरीदने से बचते हैं. इसलिए वे इन वारदातों में या तो फर्जी दस्तवेजों से खरीदे गए मोबाइल और सिम का उपयोग करते हैं. या फिर मोबाइल स्नैचर्स से मोबाइल लेते हैं. जो स्नैचर्स राह चलते लोगों से छीनकर भाग जाते हैं.