जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक तरफ सचिन पायलट को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस आलाकमान के नजदीकी और सबसे महत्वपूर्ण स्टीयरिंग कमेटी के मेंबर हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है जिसमें उन्होंने (Harish Chaudhary Targets CM Gehlot) इस आरक्षण की लड़ाई में जाट राजपूत की बात की. हरीश चौधरी ने सरकार को इशारों ही इशारों में यह भी अल्टीमेटम दे दिया है कि जिस भावना के साथ यह संशोधन किया गया है, उसी स्वरूप में इसे लागू किया जाए.
चौधरी ने कहा कि हमें विश्वास है कि मुख्यमंत्री ऐसा ही करेंगे और हमें दोबारा (Politics on OBC Reservation) पुरानी भाषा में बात करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. हरीश चौधरी ने कहा कि आंदोलन के दौरान हमें टकराव में आना पड़ा, जिसके चलते हमें निराधार आरोप-प्रत्यारोप भी झेलने पड़े. उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान इस तरह के सवाल भी उठाए गए कि जाट आरक्षण के आंदोलन के समय कौन कहां खड़ा था. कैबिनेट में किसने क्या बोला, किसकी सियासत में धरातल की जमीन खिसक रही है.
उन्होंने कहा कि खुद मुख्यमंत्री ने जाति के आधार पर भ्रांति फैला, जाति के आधार पर जाट-राजपूत की बात की. जबकि किसी स्तर पर (Confusion in the Name of Jat and Rajput) आरक्षण समिति या किसी ने भी जाति की बात नहीं की. हमनें जाट-राजपूत तो दूर 92 जाति ओबीसी में हैं उसमें भी एक अलग और दूसरे को अलग नहीं माना. गहलोत के जाट-राजपूत के बयान पर हरीश चौधरी इतने नाराज हुए कि उन्होंने मुख्यमंत्री को उनके पुराने चुनाव याद दिलाते हुए कहा कि चुनाव तो खुद मुख्यमंत्री ने भी लड़े हैं, चाहे वो विश्वविद्यालय में राजपूत प्रत्याशी से हारना हो या सांसद का चुनाव. हरीश चौधरी ने कहा कि गहलोत जो चुनाव लड़ रहे हैं उसमें भी किसी ना किसी जाति या धर्म के सामने चुनाव लड़ते हैं. क्योंकि हमारे यहां जाति-धर्म की मान्यता है. ऐसे में कोई ना कोई तो किसी के सामने चुनाव लड़ेगा ही. लेकिन यह भ्रांति फैलाना कि यह इस जाती का है यह निराधार है. विवाद करने के लिए यह बातें की गईं जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं.