जयपुर. 35 साल में राजस्थान की आबादी 3.43 करोड़ से बढ़कर 7.95 करोड़ के करीब हो गई है, यानी दोगुनी से भी ज्यादा. लेकिन जब आबादी बढ़ी तो कस्बे शहरों में तब्दील (Betting on districts for electoral victory) हो गए. कई सालों से इन शहरों को जिला बनाने की मांग भी उठती रही, लेकिन अब तक राज्य में जिलों की संख्या में केवल सात जिलों का इजाफा हुआ. 1981 में राजस्थान में 26 जिले थे, जिनकी संख्या आज बढ़कर 33 हो गई है. वहीं, क्षेत्रफल के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य में नए जिलों की मांग उठना लाजिमी है. नए जिलों के गठन को लेकर लगातार उठ रही मांग के बीच गहलोत सरकार ने अब पूर्व आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में 5 मई, 2022 को उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई. जिसे 6 महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन सितंबर में कमेटी का (Rajasthan Assembly Election 2023) कार्यकाल पूरा होने के बाद मार्च 2023 तक इसे बढ़ा दिया गया. कमेटी करीब 60 से अधिक प्रस्तावों पर मंथन कर रही है. सूत्रों की मानें तो सीएम गहलोत इस बजट में करीब 6 नए जिलों की घोषणा कर 2023 के चुनाव के लिहाज से बड़ा दांव खेल सकतें हैं. इसे लेकर सीएम गहलोत ने 17 दिसंबर को सरकार की चौथी वर्षगांठ पर संकेत भी दिए थे.
नए जिलों की जरूरत क्यों - नए जिलों के गठन में जनसंख्या को आधार बताकर अब तक मामले को टाल जाता रहा है. 2008 के बाद से राज्य में कोई नया जिला नहीं बना है, लेकिन अब बड़े जिलों के प्रशासन में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए नए जिले के निर्माण की दिशा में काम शुरू हुआ है. साथ ही आम (CM Gehlot make big bet) जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने में हो रही देरी से भी सरकार पर दबाव बढ़ा है. इन सब के बीच आबादी का बढ़ता दबाव एक बड़ा कारण है, जो जिले के लिए जरूरी है. प्रदेश में करीब 60 से ज्यादा तहसीलों को जिला बनाने की मांग उठ रही है. हाल ही में सांभर को जिला बनाने के लिए बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोगों ने राजधानी जयपुर में रैली भी निकाली थी. राजस्थान के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की 60 तहसीलें ऐसी हैं, जो जिले का दर्जा चाहती हैं. जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर और सीकर में सबसे ज्यादा 4 तहसीलों से नए जिले की मांग उठी है. जबकि अजमेर,उदयपुर, पाली और नागौर से 3-3 तहसीलें जिले का दर्जा चाहती हैं.
इसे भी पढ़ें - Congress Crisis : गहलोत की कुर्सी सेफ...लेकिन इस तारीख को हो सकता है बड़ा फैसला
14 साल से नहीं बना कोई जिला -मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने करीब एक साल पहले सेवानिवृत्त आईएएस अफसर राम लुभाया के नेतृत्व में एक राज्य स्तरीय कमेटी गठित की थी. जिसने विभिन्न जिलों में विधायकों, सामाजिक संगठनों, व्यापारियों, उद्यमियों आदि से लंबी बातचीत की है. उनके मांग (Gehlot government completes four years) पत्र, ज्ञापन के अध्ययन कमेटी के स्तर पर चल रहा है. कमेटी का कार्यकाल 31 मार्च, 2023 तक है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्द ही सौंपेगी, क्योंकि नए जिलों की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी बजट में कर सकते हैं. बजट में घोषणा होने के बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाकर नए जिलों का गठन किया जाएगा.
बता दें कि प्रदेश में पिछले 14 साल से कोई नया जिला नहीं बनाया गया है. 2008 में वसुंधरा राजे सरकार ने 26 जनवरी को प्रतापगढ़ को नया जिला बनाया था. उसके बाद तीन सरकारें आईं, लेकिन नए जिलों की मांग पर कोई फैसला नहीं हुआ. भाजपा सरकार ने इससे पहले नए जिलों के लिए 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. जिसकी 2018 में रिपोर्ट आई, लेकिन नए जिलों पर कोई ऐलान नहीं हुआ. नए जिले बनाने के लिए कांग्रेस और समर्थक विधायक लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसी दबाव के बीच सीएम गहलोत ने नए जिलों के गठन के लिए मई 2022 में पूर्व आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है.