जयपुर. बैंकों में फर्जी खाते खुलवाकर ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम देने वाली एक साइबर ठगी गैंग का खुलासा करते हुए पुलिस ने शुक्रवार को 8 बदमाशों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो बैंककर्मी भी शामिल हैं. खास बात यह है कि इनमें से एक बैंककर्मी ने परिवादी बनकर पुलिस से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन जांच में वह खुद ही साइबर ठगी का मास्टरमाइंड निकला. इनके कब्जे से फर्जी बैंक खातों की चैकबुक, पासबुक, एटीएम कार्ड और सिम बरामद की गई है.
डीसीपी (पूर्व) ज्ञानचंद यादव ने बताया कि 1 मई को आईसीआईसीआई बैंक के कर्मचारी राधेश्याम यादव ने उन्हें एक लिखित परिवाद दिया और बताया कि 15-16 मार्च को उसके पास भरतपुर से दो लोग आए और जल्दी का हवाला देकर दो खाते खुलवाए. इसके बाद वे 31 मार्च को घर आए और हथियार दिखाकर जान से मारने की धमकी दी. इससे वह डर गया और उनके कहे अनुसार 28 खाते खोल दिए. जिससे वे जयपुर में करोड़ों रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं.
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इस मामले की जांच में सामने आया कि राधेश्याम यादव ने साइबर ठगी करने वाली गैंग के बदमाश शांतनु शर्मा और भानु प्रताप सिंह के साथ मिलकर जयपुर और अन्य शहरों में बैंक की अलग-अलग शाखाओं में अपने जानकर और रिश्तेदारों के नाम से खाते खोल दिए. उन खातों के एटीएम कार्ड और चैकबुक लेकर मेवात गैंग के सरगना साद खान और बहादुर सिंह को दे दिए. इन खातों में मेवात गैंग से जुड़े बदमाश लोगों से साइबर ठगी कर रकम जमा करवाते और रुपए निकलवाकर अपने काम में ले लेते. यह जानकारी सामने आने के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमों ने मेवात इलाके के अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर बदमाशों के बारे में जानकारी इकठ्ठा की और आठ बदमाशों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.