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हनुमानगढ़: ‘बारीक बात’ के लिए रामस्वरूप किसान को मिलेगा साहित्य अकादमी पुरस्कार

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Published : Dec 21, 2019, 11:35 PM IST

राजस्थानी भाषा के लिए पूर्व में कई बड़ी किताबें लिखने वाले रामस्वरूप किसान को वर्ष 2019 का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. बुधवार को केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली की तरफ से इसकी घोषणा की गई. रामस्वरूप हनुमानगढ़ की नोहर तहसील के गांव परलीका निवासी हैं.

साहित्यकार रामस्वरूप किसान, Litterateur Ramswaroop kisan
साहित्यकार रामस्वरूप किसान

हनुमानगढ़. राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष करने वाले गांव परलीका निवासी रामस्वरूप किसान को वर्ष 2019 का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. यह पुरूस्कार उन्हें उनकी कथाकृति ‘बारीक बात’ के लिए प्रदान किया जाएगा. इसकी घोषणा बुधवार को केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली की तरफ से की गई.

रामस्वरूप किसान को पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपए की राशि, स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट किए जाएंगे. साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष 24 भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को पुरस्कृत करती है. किसान को राजस्थानी भाषा में प्रकाशित उनकी कथाकृति ‘बारीक बात’ के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा.

रामस्वरूप किसान को मिलेगा साहित्य अकादमी पुरस्कार

वहीं अकादेमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मण्डल के संयोजक मधु आचार्य ने किसान को दूरभाष पर यह सूचना दी. डॉ. अर्जुनदेव चारण, डॉ. अम्बिकादत्त और सीएल सांखला इस पुरस्कार के निर्णायक थे. किसान की अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. साथ ही वे कथा प्रधान राजस्थानी तिमाही ‘कथेसर’ के संपादक भी हैं.

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किसान को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार, राजस्थानी भाषा-साहित्य और संस्कृति अकादमी का मुरलीधर व्यास पुरूस्कार, राजस्थानी कथा पुरस्कार और दिल्ली का कथा पुरस्कार सहित अनेक मान-सम्मान मिल चुके हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-राजस्थान अजमेर के पाठ्यक्रम में उनकी राजस्थानी कहानी ‘गा कठै बांधूं , राजस्थान विद्यापीठ यूनिवर्सिटी उदयपुर में कविता संग्रह ‘आ बैठ बात करां, और क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर (कर्नाटक) और महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी कोट्टायम (केरला) के पाठ्यक्रम में राजस्थानी कहानी ‘दलाल’ का अंग्रेजी अनुवाद ‘द ब्रोकर‘ शामिल है.

वहीं उनकी कहानी 'दलाल' नब्बे के दशक की भारतीय भाषाओं की 11 सर्वश्रेष्ठ कहानियों में शामिल रही है. साहित्यकार रामस्वरूप किसान को उक्त पुरस्कार मिलने पर ग्रामीणों, साहित्यकारों, पाठकों सहित क्षेत्रवासियों ने खुशी जताई है.

रामस्वरूप किसान ने राजस्थानी भाषा के लिए पूर्व में भी कई बड़ी किताबें लिखी हैं. इन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए भी काफी संघर्ष किया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से यह पुरस्कार उन्हें मिला है, उससे काफी खुशी है इससे राजस्थानी भाषा को चाहने वाले जानने वाले और जुड़ेंगे.

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