राजस्थान

rajasthan

Reality Check : पौधे लगाकर भूल गया प्रशासन और पंचायत...बची हैं केवल कंटीली झाड़ियां और घास-फूस

By

Published : Sep 24, 2020, 1:05 PM IST

आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान का खुलेआम मखौल बनाया जा रहा है. प्रशासन से लेकर पंचायत तक की इसमें लापरवाही नजर आ रही है. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण का सपना कैसे साकार हो सकेगा, यह सबसे बड़ी चिंता का कारण है. पेश है ये रिपोर्ट...

राजस्थान हिंदी न्यूज, Dungarpur Plantation Program
डूंगरपुर में पौधारोपण कार्यक्रम की रियलिटी चेक

डूंगरपुर. मानसून आते ही हर साल सरकार और प्रशासन की ओर से पौधारोपण कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है, लेकिन लगता है ये पौधारोपण कार्यक्रम मानसून और विश्व पर्यावरण दिवस पर सिर्फ इतिश्री करने के लिए किया जाता है. ऐसा ही एक मामला डूंगरपुर में आया है, जिसमें जिला स्तर पर 26 जून को ग्राम पंचायत भाटपुर में पौधारोपण कार्यक्रम किया गया, लेकिन यहां अब एक भी पौधा नहीं है.

डूंगरपुर में पौधारोपण कार्यक्रम की रियलिटी चेक

हर साल पर्यावरण दिवस और मानसून में खास तौर पर कई स्तर पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित होते हैं. जिसमें लाखों पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है. यहां तक तो प्रशासन अपनी जिम्मेवारी निभाता नजर आता है, लेकिन उसके बाद पौधे के सार-संभाल की जिम्मेवारी पर अक्सर बेरुखी देखने को मिलती है. डूंगरपुर में इस बार मानसून आते ही जिला प्रशासन, वन विभाग, पंचायत समिति डूंगरपुर की ओर से 26 जून को ग्राम भाटपुर तालाब की पाल पर जिला स्तरीय पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

पौधारोपण कार्यक्रम में मौजूद रहे जिला कलेक्टर...

इस कार्यक्रम में जिला कलेक्टर कानाराम, अतिरिक्त जिला कलेक्टर कृष्ण पाल सिंह, सीईओ दीपेंद्र सिंह राठौड़ की मौजूदगी में वन विभाग, चिकित्सा विभाग और पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों ने पौधरोपण किया. तालाब की पाल पर पौधारोपण करते हुए कलेक्टर ने इन्हें पानी से सिंचा. वहीं, इन पौधों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत भाटपुर को दी गई, लेकिन अब मौके पर हालत इसके उलट है. बारिश का यह मानसून अभी बिता भी नहीं है. पौधरोपण किए 3 महीने का वक्त भी पूरा नहीं हुआ है कि पंचायत की लापरवाही से यह पौधे सुख गए या नष्ट हो गए.

एक भी पौधा जीवित नहीं...

ईटीवी भारत की टीम ने भाटपुर तालाब की पाल पर लगाए गए पौधे का जायजा लिया, लेकिन मौके पर एक भी पौधा जीवित नहीं मिला. पौधों के लिए गड्ढे खुदे हुए दिखाई दिए, जहां पर कुछ कंटीली सुखी झाड़ियां पड़ी हुई थी, जिसे पोधों की चारो ओर लगाया गया था, लेकिन इन पौधों की सुरक्षा के लिए कोई ट्री-गार्ड नहीं लगाए गए थे. ऐसे में इन पौधों को मवेशी चट कर गए या देखरेख के अभाव में ये पौधे अपने आप ही सुख गए, किसी को पता नहीं है.

यह भी पढ़ें.Special: फसलों पर 'हरी लट' का वार, किसानों की मेहनत बेकार

पौधों की जगह अब वहां पर केवल कंटीली झाड़ियां और अन्य घासफूस उगी हुई हैं. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने डूंगरपूर पंचायत समिति के विकास अधिकारी बालकृष्ण कोटेड से बात की तो उन्होंने बताया कि मौके पर पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पंचायत की थी, लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

जून में हुआ था पौधारोपण...

ऐसे में जिला स्तरीय कार्यक्रम के यह हाल है तो अन्य संस्थानों की ओर से किए गए पौधारोपण का क्या हाल होगा. जिले में मानसून के दौरान सरकारी विभागों, स्कूल, स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से भी पौधारोपण किया जाता है, लेकिन अनदेखी के चलते यह पौधे पनप नहीं पाते हैं और यहीं कारण है कि सरकार का पर्यावरण संरक्षण का सपना आज तक अधूरा है.

2009 में खेमारू की पहाड़ियों ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, अब एक भी पौधा नहीं...

पौधारोपण कार्यक्रमों के अमूमन यहीं हाल पहले भी देखने को मिले हैं, जहां पर एक बार पौधा लगाने के बाद सरकार, प्रशासन या फिर जिम्मेदार ध्यान नहीं देते है. साल 2009 में डूंगरपुर जिले में पौधारोपण के तहत वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया. खेमारू की पहाड़ियों पर 12 घंटे में 6 लाख पौधे लगाकर कीर्तिमान स्थापित किया गया था, लेकिन यहां भी प्रशासन पौधे लगाकर भूल गया.

सूखा पौधा...

पौधारोपण के महज 2-3 सालों में ही यहां सभी पौधे सुख गए और आज यह पहाड़ियों सूखी पड़ी है. यहां एक भी पौधा जीवित नहीं है. ऐसे में सरकार से लेकर प्रशासन और जिम्मेदारों को पौधारोपण के बाद इन पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेनी होगी, तभी पौधारोपण का अभियान भी सार्थक साबित होगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details