डूंगरपुर. मानसून आते ही हर साल सरकार और प्रशासन की ओर से पौधारोपण कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है, लेकिन लगता है ये पौधारोपण कार्यक्रम मानसून और विश्व पर्यावरण दिवस पर सिर्फ इतिश्री करने के लिए किया जाता है. ऐसा ही एक मामला डूंगरपुर में आया है, जिसमें जिला स्तर पर 26 जून को ग्राम पंचायत भाटपुर में पौधारोपण कार्यक्रम किया गया, लेकिन यहां अब एक भी पौधा नहीं है.
हर साल पर्यावरण दिवस और मानसून में खास तौर पर कई स्तर पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित होते हैं. जिसमें लाखों पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है. यहां तक तो प्रशासन अपनी जिम्मेवारी निभाता नजर आता है, लेकिन उसके बाद पौधे के सार-संभाल की जिम्मेवारी पर अक्सर बेरुखी देखने को मिलती है. डूंगरपुर में इस बार मानसून आते ही जिला प्रशासन, वन विभाग, पंचायत समिति डूंगरपुर की ओर से 26 जून को ग्राम भाटपुर तालाब की पाल पर जिला स्तरीय पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
पौधारोपण कार्यक्रम में मौजूद रहे जिला कलेक्टर...
इस कार्यक्रम में जिला कलेक्टर कानाराम, अतिरिक्त जिला कलेक्टर कृष्ण पाल सिंह, सीईओ दीपेंद्र सिंह राठौड़ की मौजूदगी में वन विभाग, चिकित्सा विभाग और पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों ने पौधरोपण किया. तालाब की पाल पर पौधारोपण करते हुए कलेक्टर ने इन्हें पानी से सिंचा. वहीं, इन पौधों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत भाटपुर को दी गई, लेकिन अब मौके पर हालत इसके उलट है. बारिश का यह मानसून अभी बिता भी नहीं है. पौधरोपण किए 3 महीने का वक्त भी पूरा नहीं हुआ है कि पंचायत की लापरवाही से यह पौधे सुख गए या नष्ट हो गए.
एक भी पौधा जीवित नहीं...
ईटीवी भारत की टीम ने भाटपुर तालाब की पाल पर लगाए गए पौधे का जायजा लिया, लेकिन मौके पर एक भी पौधा जीवित नहीं मिला. पौधों के लिए गड्ढे खुदे हुए दिखाई दिए, जहां पर कुछ कंटीली सुखी झाड़ियां पड़ी हुई थी, जिसे पोधों की चारो ओर लगाया गया था, लेकिन इन पौधों की सुरक्षा के लिए कोई ट्री-गार्ड नहीं लगाए गए थे. ऐसे में इन पौधों को मवेशी चट कर गए या देखरेख के अभाव में ये पौधे अपने आप ही सुख गए, किसी को पता नहीं है.