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डूंगरपुर: 6 बाल मजदूरों को कराया गया मुक्त, मजदूरी के लिए भेजा जा रहा था गुजरात

डूंगरपुर में 6 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. मानव तस्करी निरोधक सेल, चाइल्ड लाइन और श्रम विभाग की ओर से संयुक्त कार्रवाई में गुजरात सीमा के पास से इन बच्चों को मुक्त कराया गया. इस मामले में 3 मेटो को गिरफ्तार किया गया है. पिछले दिनों भी जिले में 24 बालश्रमिकों को मुक्त करवाया गया था.

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6 बाल मजदूरों को कराया मुक्त

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Published : Jul 8, 2020, 9:12 PM IST

डूंगरपुर. जिले में मानव तस्करी निरोधक सेल, चाइल्ड लाइन और श्रम विभाग की ओर से संयुक्त कार्रवाई में बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. 6 बाल मजदूरों को गुजरात मजदूरी के लिए ले जाया जा रहा था. बाल मजदूरों की तस्करी के मामले में 3 मेटो को गिरफ्तार किया है. डूंगरपुर जिला पुलिस की ओर से बालश्रम के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. इसी के तहत मानव तस्करी निरोधक सेल, चाइल्ड लाइन और श्रम विभाग की टीम ने गुजरात से सटे मांडली चेक पोस्ट पर नाकेबंदी कर वहां से गुजरने वाले सभी वाहनों को चेक किया.

गुजरात सीमा से कराया मुक्त

जिसके बाद टीम ने अलग-अलग वाहनों से गुजरात में मजदूरी के लिए ले जाए जा रहे 6 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया. वहीं धंबोला थाने में बाल मजदूरी करवाने वाले मेट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस ने मामले में 3 मेटो को गिरफ्तार किया है. इन सभी बालश्रमिकों की उम्र करीब 12 से 17 साल के बीच है. टीम ने मुक्त करवाए गए बालश्रमिकों को जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया, जहां से समिति ने बालश्रमिकों को सम्प्रेष्ण गृह में रखने के आदेश दिए हैं. साथ ही उनके परिजनों को बुलाकर काउंसलिंग की जाएगी और इन बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के प्रयास होगा. बता दे कि जिले में बालश्रम के खिलाफ अभियान के तहत पिछले दिनों भी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 24 बालश्रमिकों को मुक्त करवाया था.

दुनिया में सबसे ज्यादा बालश्रम भारत में

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनियाभर में 21 करोड़ से अधिक बच्चे बाल मजदूरी करते हैं. जिनमें सबसे ज्यादा भारत में हैं. सरकार की तरफ से बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कानून भी बनाए गए हैं लेकिन अभी भी करोड़ों बच्चे बाल मजदूरी के चंगुल में फंसे हुए हैं. सरकार ने सभी बच्चों के लिए शिक्षा अनिवार्य करने का कानून भी बनाया है लेकिन अब भी करोड़ों की संख्या में बच्चे स्कूलों से दूर कारखानों और भट्टों की आग में अपना बचपन तपा रहे हैं.

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