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स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का ऐसा गांव, जहां आजादी के बाद से अबतक नहीं पहुंची सड़क

प्रदेश में सरकारें आई और गई, लेकिन कभी इनका दुखड़ा नहीं सुना. हर पार्टी सत्ता में आने से पहले सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा और चिकित्सा के बेहतर करने का दावा करती है. लेकिन, जैसे की सत्ता पर काबिज होती है, तो अपने वादों को भूल जाती है. ऐसा ही हो रहा है धौलपुर के सैपऊ उपखण्ड के गांव में. जहां आजादी से लेकर मौजूदा समय में ये लोग सड़क के इंतजार में है. देखिए धौलपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Feb 25, 2020, 5:40 PM IST

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सड़क के अभाव में धौलपुर का गांव

धौलपुर.प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भी हालत नहीं सुधरे. लोगों की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. जिससे लोगों में सरकार और सिस्टम के खिलाफ आक्रोश देखा जा रहा है. सत्ता परिवर्तन के एक वर्ष बाद भी धौलपुर जिले के ग्रामीण लोग सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और चिकित्सा जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. जिससे लोगों में भारी रोष व्याप्त है.

सड़क के अभाव में धौलपुर का गांव

200 परिवार की आबादी और सड़क का भारी अभाव

जिले के सैपऊ उपखंड इलाके की ग्राम पंचायत कैथरी का फतेह सिंह का अड्डा गांव आजादी से लेकर मौजूदा समय में मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. करीब 2 सौ परिवार वाली आबादी का यह गांव आज भी जरूरी सुविधाओं से वंचित है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आजादी से अब तक सरकार और प्रशासन ने सड़क तक की भी व्यवस्था नहीं की है. यहां तक गांव में बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल तक नहीं है. गांव के बच्चों को करीब तीन किलोमीटर का पैदल सफर तय कर नजदीकी गांव बोरेली में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है.

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स्कूल तक नहीं जा पाते बच्चे

वहीं बच्चों ने बताया कि गांव से स्कूली की दूरी करीब तीन किलोमीटर है. वहां तक पैदल जाना पड़ता है. सड़क मार्ग के नहीं होने से उबड़ खाबड़ रास्ते से निकलना पड़ता है. सबसे बड़ी परेशानी तो बरसात के समय में बच्चों को होती है. बच्चों ने बताया बारिश में करीब एक माह तक स्कूल जाना बंद हो जाता है. ग्रामीणों की माने तो समस्या बरसात के समय में नासूर बन जाती है. गांव के आने-जाने के रास्ते सभी बंद हो जाते हैं. प्रसूता और मरीजों को ले जाने में भारी परेशानी होती है. गांव में रिश्तेदार आने जाने से कतराते हैं. जिससे ग्रामीणों का जीवन नारकीय बना हुआ है.

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कब मिलेगी इन समस्याओं से आजादी

ग्रामीणों ने बताया गांव की बुनियादी समस्याओं को लेकर स्थानीय राजनेता और प्रशासनिक अधिकारियों को दर्जनों बार शिकायत पत्र देकर अवगत करा दिया है. लेकिन समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया है. गांव के हालात सन् 1947 से अब तक एक जैसे है. तब भी लोग इसी सड़क पर परेशानियों के भरी डगर को पार करते है और आज इस 21वीं सदी में भी ये लोग इसी मुश्किल डगर को पार करते है. लेकिन इन लोगों को आज भी इस उखड़ खाबड़ सड़क से आजादी का इंतजार है.

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