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सरकारी स्कूलों के सूरत-ए-हाल: ...आखिर कैसे तैयार होंगे 'देश के भविष्य', जब 20 से अधिक स्कूल कई सुविधाओं से वंचित हैं - dholpur news

सरकार अपनी बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के पीछे खर्च कर रही है. ऐसे में स्कूलों का सरकारी हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने धौलपुर जिले के सरकारी स्कूलों के हालात का जायजा लिया. जानिए इस रिपोर्ट से...

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सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक...

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Published : Dec 25, 2019, 12:43 PM IST

धौलपुर.राज्य सरकार अपनी बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के पीछे खर्च कर रही है. सरकारी विद्यालयों को हर प्रकार की सुविधा से युक्त बनाने के लिए कई योजना चलायी जा रही हैं. ऐसे में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ग्राउण्ड जीरो पर जाकर सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक कर रहा है.

सरकारी स्कूलों का रियलिटी चेक...

एक ओर सरकार और शिक्षा विभाग एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में एडी से छोटी तक की दम लगा रहा है. लेकिन धौलपुर जिले के राजकीय स्कूलों की हालात का जायजा लिया गया, जिसके नतीजे चौकाने वाले सामने आए. यहां करीब 20 से अधिक राजकीय विद्यालय भौतिक सुविधाओं के अभाव में पिछले लम्बे समय से जूझ रहे हैं. कहीं स्कूलों में भवन का अभाव तो, कहीं अध्यापक की कमी, तो कहीं महत्वपूर्व विषय के टीचर ही नहीं हैं. ऐसे में छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में बना हुआ है.

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जर्जर भवन, शिक्षक नहीं, डर के साए में बच्चे...

ईटीवी भारत की टीम ने जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कूकरा में जाकर हालात का जायजा लिया. स्कूल प्रबंधन ने बताया मौजूदा समय में करीब 350 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. लेकिन बैठने के लिए महज चार ही कक्ष हैं. स्कूल कक्षा 1 से 12 तक संचालित किया जाता है. ऐसे में बच्चों को भवन अभाव में खुले आसमान के नीचे बैठना पड़ता है.

वहीं विद्यालय का भवन काफी जर्जर और जीर्ण हो चुका है. दीवारों में दरार आ गई है, छत से आये दिन पत्थरों के टुकड़े गिरते रहते हैं. यह पुराना जर्जर भवन कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकता है, जिससे बच्चे भय के साये में पढ़ने को मजबूर हैं.

साथ ही स्कूल में गणित और हिंदी जैसे महत्वपूर्ण विषय के टीचर न होने से बच्चों का भविष्य और भी अंधकार में जा रहा है. उसके अलावा प्रार्थना स्थल, खेल मैदान, कम्प्यूटर कक्ष, संस्था प्रधान ऑफिस, पोषाहार स्टोर, मिड-डे-मिल के लिए रसोई घर भी नहीं है.

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यहां भी वही हाल...

जिले का राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय तसीमों भी लम्बे समय से अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है. संस्था प्रधान द्वारा स्कूल को महज चार कक्षाओं में संचालित किया जा रहा है. दो कक्षाओं को एक ही हॉल में बैठाकर पढ़ाए जा रहे हैं. वहीं बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जाता है, जिससे अध्यापन कार्य प्रभावित होता है.

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साथ ही स्कूल में खेल मैदान भी नहीं है, जिससे बच्चियां खेल से संबंधित गतिविधियों से वंचित रह जाती हैं. स्कूल के शौचालय काफी जर्जर हैं. कक्षाओं की छतों और दीवारों से आए दिन सीमेंट का प्लास्टर गिरता रहता है.

जिले के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रजोरा कला, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय झीलरा, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कोढ़ पुरा सहित 20 से अधिक स्कूल भौतिक सुविधाओं से वंचित हैं. अधिकांश स्कूलों में खेल मैदान, पर्याप्त भवन का नहीं होना, कम्प्यूटर कक्ष नहीं, तो कहीं महत्वपूर्व बिषय के अध्यापक नहीं होने से बच्चों का भविष्य अंधकार में बना हुआ है.

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