धौलपुर.पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच की अदावत पार्टी पर भारी पड़ रही है. इसकी एक झलक धौलपुर में हुए पंचायती राज चुनाव के परिणामों में नजर आई. राजे के गढ़ में ही 'कमल' मुरझा गया. जबकि कांग्रेस का 'हाथ' पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद तक मजबूत हो गया है. जिला परिषद में कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना तय है. वहीं पंचायत समितियों में भी अधिकांश पर 'पंजा' भारी पड़ता नजर आ रहा है.
जिला परिषद वार्ड में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है. जबकि बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. जिला परिषद के 23 वार्डों में से कांग्रेस को 17 सीटें मिली है जबकि बीजेपी ने महज 6 सीटें ही हासिल की है.
जिला परिषद वार्ड में कांग्रेस को स्पष्ट बहुत मिला है. हालांकि सैपऊ पंचायत समिति में बीजेपी को बहुमत मिला है. इसके अलावा धौलपुर, बाड़ी, राजाखेड़ा, बसेड़ी और सरमथुरा में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. भाजपा की हार का कारण गुटबाजी माना जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया गुट के कार्यकर्ताओं के बंटने के कारण भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ है. बताया जा रहा है कि पंचायती राज चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया गया था. ऐसे में वसुंधरा राजे के कार्यकर्ताओं की चुप्पी और अंदरूनी बगावत के कारण भाजपा जिले में चारों खाने चित हो गई.
वहीं पंचायती चुनाव में बाड़ी, धौलपुर, राजाखेड़ा में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है. सैपऊ पंचायत समिति में भाजपा को बढ़त हासिल हुई है. इसके अलावा बसेड़ी और सरमथुरा पंचायत समिति में निर्दलीय प्रत्याशियों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही गणित बिगाड़ दिया है.
धौलपुर पंचायत समिति की बात की जाए तो 29 पंचायत समिति वार्ड से 14 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है और भाजपा को 10 वार्डों पर जीत मिली है. 4 वार्डों पर बहुजन समाज पार्टी ने भी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है. एक वार्ड पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.
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