दौसा. कुपोषण मिटाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से ये आंगनबाड़ियां संचालित होती हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषित खाद्य सामग्री मुहैया कराई जाती है. लेकिन योजना सही ढंग से लागू नहीं हो पा रही है, जिससे आंगनबाड़ी खुद कुपोषित नजर आती है. रिपोर्ट देखिये...
आंगनबाड़ी योजना खुद कुपोषित यह योजना कर्मचारियों की लापरवाही और सही मॉनीटरिंग के अभाव में खानापूर्ति बनकर रह गई है. दौसा जिले में 1354 आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिन पर गर्भवती महिलाओं और 3-6 साल तक के बच्चों को पोषण सामग्री वितरित की जाती है. पिछले साल कोरोना के आक्रमण से पहले तक पोषित सामग्री के रूप में गर्म दलिया और पंजीरी दी जाती थी. अंडे और दूध भी दिया जाता था. फल भी इसमें शामिल थे.
पोषित सामग्री की जगह सूखा पैकेट वितरित कोरोना महामारी के बाद अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर सिर्फ राशन के पैकेट वितरित किए जाते हैं. इन पैकिट में दाल, चावल और गेहूं होता है. पात्र लोगों के लिए ये पैकिट नाकाफी हैं. विभाग ने पात्र लाभार्थियों के लिए डाइट चार्ट बनाया हुआ है.
बच्चों को प्रतिमाह दी जाने वाली डाइट डाइट चार्ट के तहत 3-6 वर्ष के बच्चों के लिए 1.250 किलो गेहूं, 1.250 चावल और 2 किलो दाल के पैकेट दिए जा रहे हैं. वहीं गर्भवती महिलाओं को 3 किलो दाल, 1.500 किलो चावल, 1.500 किलो गेहूं हर महीने वितरित किया जा रहा है. लेकिन इसके लिए कोई तय तारीख नहीं होने से परेशानी आ रही है. खाद्य निगम जब खाद्य सामग्री भेजता है तभी आंगनबाड़ी की ओर से उसे वितरित किया जाता है.
गर्भवती महिलाओं को प्रतिमाह मिलने वाली डाइट पढ़ें- भरतपुर की इन 'बाड़ी' का 'आंगन टेढ़ा' है...450 आंगनबाड़ियां किराए के भवनों में, अधिकतर में शौचालय तक नहीं
वितरण में इस गड़बड़झाले के कारण 2-3 महीने में एक बार वितरण हो पाता है. हाल में दौसा की 2 दर्जन से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर सिर्फ दाल वितरित की गई है. यह वितरण भी 2 महीने बाद किया गया है. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण को दूर करने की यह योजना ही फेल नजर आती है.
न्यूट्री गार्डन भी साबित हुआ फेल
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से स्कूलों में चल रहे कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों में न्यूट्री गार्डन लगाए गए थे. ताकि इनसे ताजा सब्जियां प्राप्त की जा सकें और बच्चों और महिलाओं के पोषण का स्तर सुधारा जा सके. इसके लिए हर आंगनबाड़ी केंद्र को 10 हजार रुपए का अलग से बजट भी दिया गया. लेकिन न्यूट्री गार्डन फलने फूलने से पहले ही तबाह हो गए.
न्यूट्री गार्डन बनाने का कोई अर्थ नहीं विभाग के कार्मिकों ने पैसे खर्च कर न्यूट्री गार्डन तो लगाए लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते न्यूट्री गार्डन खत्म हो गए. अधिकांश न्यूट्री गार्डन में लगाए गए पौधों को आस-पास के ग्रामीण उखाड़ कर ले गए. पानी की व्यवस्था नहीं होने के चलते अधिकांशत न्यूट्री गार्डन पूरी तरह सूख कर खत्म हो चुके हैं.
कैसे होगा पोषण, जब योजना ही कुपोषित गौरतलब है कि दौसा जिले में न्यूट्री गार्डन के लिए विभाग 7 लाख रुपए से अधिक खर्च कर चुका है. ऐसे में महिला बाल विकास विभाग की ओर से संचालित यह पोषण योजना लापरवाही और अनदेखी की भेंट चढ़ रही है.