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चूरू: घूंघट प्रथा पर प्रहार की तैयारी, प्रशासनिक बैठकों में घूंघट प्रथा भी एजेंडे का हिस्सा रहेगी

चूरू के जिला मुख्यालय में 'घूंघट उन्मूलन कार्यशाला' आयोजित हुई. इस कार्यशाला में जिला कलेक्टर संदेश नायक ने घूंघट प्रथा को प्रशासनिक बैठकों में एजेंडे के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया. इस 'घूंघट उन्मूलन कार्यशाला' में सभी वक्ताओं ने आधुनिक दौर में इसे बुराई और पिछड़ेपन का प्रतीक बताया है.

Veil Eradication Workshop in churu, चूरू में घूंघट प्रथा कार्यशाला
'घूंघट उन्मूलन कार्यशाला' हुई

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Published : Jan 9, 2020, 1:35 AM IST

Updated : Jan 9, 2020, 8:30 AM IST

चूरू. जिले में अब जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत और प्रशासनिक बैठकों में पानी, बिजली समस्याओं के साथ ही घूंघट प्रथा भी एक एजेंडा रहेगी. सूचना केंद्र में आयोजित घूंघट उन्मूलन कार्यशाला में हुए वैचारिक मंथन के बाद सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा, कि विज्ञान, तकनीकी और आधुनिकता के दौर में घुंघट एक बुराई है.

'घूंघट उन्मूलन कार्यशाला' हुई

राजस्थान में घूंघट प्रथा के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर चलाए जा रहे अभियान के तहत चूरु में अब जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत और प्रशासनिक बैठकों में पानी, बिजली समस्याओं के साथ ही घूंघट प्रथा भी एक एजेंडा रहेगी. जिले में घुंघट प्रथा पर प्रहार करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं. बैठक में घूंघट उन्मूलन को स्थाई एजेंडा बनाने के साथ ही घुंघट उन्मूलन गतिविधियों को एक आंदोलन का रूप दिया जाएगा.

जिसके लिए संकल्प, शपथ और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. बुधवार को जिला मुख्यालय के सूचना केंद्र में आयोजित घूंघट उन्मूलन कार्यशाला में हुए वैचारिक मंथन के बाद जिला कलेक्टर संदेश नायक ने इसे एजेंडे के रूप में शामिल किए जाने का निर्णय किया है.

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सूचना केंद्र में हुई घूंघट उन्मूलन कार्यशाला में सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा, कि विज्ञान, तकनीकी और आधुनिकता के दौर में घुंघट एक बुराई है. हम सबको मिलकर इसके खिलाफ एक वातावरण का निर्माण करना होगा. कार्यशाला में जिला कलेक्टर संदेश नायक ने कहा, कि आधुनिक समय में इस प्रकार की कुरीतियां और परंपराएं कहीं ना कहीं हमारे सामाजिक पिछड़ेपन का प्रतीक है. हमें इसे प्रत्यक्ष चर्चा और विमर्श का विषय बनाना चाहिए.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राजेश दड़िया ने कहा, कि यह दुर्भाग्य है कि आजादी के इतने समय बाद भी हमारा समाज ऐसी बुराइयों से जूझ रहा है. कार्यशाला की प्रमुख वक्ता डॉ. मंजू शर्मा ने कहा, कि हम केवल परंपरा की दुहाई देकर घुंघट का औचित्य साबित नहीं कर सकते. स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सके, इसके लिए वैचारिक स्वतंत्रता बहुत जरूरी है.

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वहीं सूचना एवं जनसंपर्क सहायक निदेशक कुमार अजय ने कहा, कि घूंघट हमारे सामाजिक ताने-बाने की विसंगति का सूचक है. शोषण से मुक्ति के लिए स्त्री को बाहर और भीतर दोनों तरफ से सशक्त होना होगा. इस दौरान विधि कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर श्रवण सैनी और महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक संजय कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

Last Updated : Jan 9, 2020, 8:30 AM IST

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