चूरू. वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण के खतरे को कम करने के मकसद से देश में जारी लॉकडाउन के कारण देश में इस वक्त सब कुछ बंद सा है. हालांकि, आज से शुरू हुए लॉकडाउन के चौथे चरण में कई तरह की रियायतें दी गयी है. लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्रों को राहत नहीं मिली है. ऐसा ही संकट छोटे मंदिरों के पुजारियों पर भी है. लॉकडाउन के कारण सभी मंदिर 25 मार्च से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बंद है. ऐसे में छोटे मंदिरों में हर दिन आने वाला चढ़ावा बंद हो गया है. छोटी काशी कहे जाने वाले चूरू शहर के सैकड़ों छोटे-बड़े मंदिरों के पुजारियों के सामने अब अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है.
लॉकडाउन: मंदिरों के पुजारियों पर रोजी-रोटी का संकट, नहीं मिल रहा चढ़ावा - मंदिर के पुजारी
लॉकडाउन की वजह से मंदिर बंद हैं और अब मंदिर के पुजारियों पर भी इसका असर दिख रहा है. चढ़ावा नहीं मिलने की वजह से पुजारियों के सामने अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट पैदा हो रहा है. पुजारियों का कहना है कि, सरकार की तरफ से उन्हें भी मदद मिलनी चाहिए जिससे वो भी अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें.
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एक किलोमीटर के दायरे में हैं 150 मंदिर:
चूरू जिले के तारानगर रोड पर नाथजी के मठ से सफेद घंटाघर तक ही करीब एक किलोमीटर में ही 150 से ज्यादा छोटे-बड़े मंदिर हैं. सब्जी मंडी में 100 मीटर के दायरे में ही 35 से 40 मंदिर हैं. यहां पर लॉकडाउन से पहले चार-पांच हजार श्रद्धालु दर्शन करने आते थे अब श्रद्धालुओं का आना बंद है. बताया जाता है कि, 1971 में चूरू आये शंकराचार्य निरंजन देव ने सब्जी मंडी में पग पग पर मंदिर देखकर आश्चर्य जताया था. उन्होंने कहा था कि, यह तो छोटी काशी है, यहां ठाकुरजी का मंदिर, बागला बालाजी मंदिर, शनि मंदिर, सेन मंदिर, मंगलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीगणेश मंदिर, ठाकुर जी का मंदिर, गोपीनाथ जी का मंदिर, भैरव मंदिर, शिव मंदिर, गंगामाई मंदिर, भोमिया जी मंदिर, मड़दा शक्ति मंदिर, गुसाई जी मंदिर व पचीसिया बालाजी सहित और भी मंदिर हैं.