चूरू.कोरोना का कहर हर क्षेत्र और हर व्यक्ति पर पड़ा है. इस वैश्विक महामारी ने आम आदमी के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी है. कई लोगों का रोजगार छिन गया है तो एक बड़ी आबादी का काम-धंधा पूरी तरह से ठप पड़ गया है. ऐसे वक्त में जब आम आदमी के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम करना भी भारी पड़ रहा हो तो अन्य खर्चों की बात करना बेमानी सा हो जाता है. इस मुश्किल समय में परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब हो जाए या कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तो इसकी कल्पना मात्र से ही मन सहम उठता है. और अगर ये सब किसी परिवार को सच में भुगतना पड़े तो उस तकलीफ का अंदाजा स्वतः ही लगाया जा सकता है.
ऐसी ही परेशानी से जूझन पड़ा रहा है चूरू की आशा को. आशा किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रसित है. हर महीने डायलिसिस और दवाओं पर लगभग 25 से 30 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं. आशा के ससुराल वाले और मायके वाले मिलकर भी इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं. पीड़ित परिवार ने प्रसाशन से कई बार मदद की गुहार लगाई लेकिन हर ओर से केवल निराशा ही हाथ लगी. जिसके बाद परिजनों ने ETV Bharat के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है.
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आशा के पति ने अपना सब कुछ दांव पर लगाकर भी अपनी अर्धांगिनी को बचाने का हर संभव प्रयास किया है. पत्नी के उपचार के लिए पति ने अपनी नौकरी तक कुर्बान कर दी. पति-पत्नी के इस संघर्ष के बीच कोरोना कॉल में लगे लॉकडाउन ने आग में घी डालने का काम किया. पत्नी की बीमारी पर हो रहे लंबे समय से खर्च और ऊपर से लॉकडाउन ने इस मिडिल क्लॉस फैमली की कमर तोड़कर रख दी. पीड़ित परिवार ने सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले चिकित्सकीय लाभ लेने के लिए प्रसाशन की चौखट पर कई बार गुहार लगाई लेकिन हर बार इस परिवार को निराशा और नाकामयाबी ही हाथ लगी.
पति ने पहले गवाई नौकरी, अब खुद डिप्रेशन का शिकार