चूरू.सीएम अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में 6 साल पहले चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक अधूरा है. प्रोजेक्ट के तहत 352 आवेदकों को 2 साल में फ्लैट तैयार कर देने थे, लेकिन नगर परिषद की अनदेखी और कंपनी की लापरवाही के कारण आज तक लोग अपने घर के लिए तरस रहे हैं.
चूरू में अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट को लगा ग्रहण बता दें कि मई 2013 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया था और मई 2015 में सभी लॉटरी धारकों को उनके फ्लैट की चाबी सौंपी जानी थी. लेकिन 6 साल बाद भी इन फ्लैट का महज 40 प्रतिशत ही काम पूरा हो पाया है.
करीब 12 करोड़ 84 लाख रुपए का है प्रोजेक्ट...
पूरे मामले को लेकर जिला कलेक्टर संदेश नायक ने ईटीवी भारत से जांच की बात बताई. बता दें कि करीब 12 करोड़ 84 लाख रुपए का यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल होने की स्थिति में आकर खड़ा हो गया है.
कंपनी ने लिए कदम पीछे...
शहर के अग्रसेन नगर से रामसरा रोड पर जाने वाले सड़क पर अधूरे पड़े इन फ्लैटों की किस्तें जमा नहीं होने पर कंपनी भी पीछे हट गई है. लाटरी धारकों का भी आरोप है कि नगर परिषद और कंपनी ने मिलीभगत करके जनता के साथ धोखा किया है. काम बंद होने से उन्हें भी रुपए जमा करवाने में डर लगने लगा है.
डर से लोगों ने किस्त देना किया बंद...
352 फ्लैट धारकों ने अपने आशियाने के लिए किस्त के रुपए बैंक के जरिए नगर परिषद के खाते में रुपए जमा भी करवाएं, लेकिन काम बंद होने के कारण अब लोगों ने किस्त देना ही बंद कर दिया है. कॉलोनी का निर्माण कार्य जयपुर की कंपनी एसएनजी रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा करवाया जा रहा है.
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अगर कहा जाए कि प्रोजेक्ट में देरी के लिए नगर परिषद जिम्मेदार है तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी. क्योंकि किस्त की रकम नगर परिषद के खाते में जमा हो रही है. किस्त जमा नहीं कराने वालों के खिलाफ नगर परिषद कोई कारवाई पहले ही कर लेती तो लोग किस्त समय पर चुकाते और समय पर प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाता.