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बिन पानी सब सून : गंगानगर में यूं तो बहुत नहरें हैं...लेकिन फिर भी यहां लोग प्यासे हैं - Water Supply Department

श्रीगंगानगर में पानी की किल्लत शहर की ऐसी कॉलोनियों में है जो गंगनहर के किनारे पर बसी हुई हैं. ऐसे में यहां के लोग गर्मियों में कल्पना करते हुये यही कहते हैं कि नहर किनारे बैठे है, कभी तो लहर आयेगी.

गंगानगर में यूं तो बहुत नहरें हैं...लेकिन फिर भी यहां लोग प्यासे हैं

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Published : Jun 26, 2019, 7:43 PM IST

श्रीगंगानगर. जिला यूं तो नहरी तंत्र कहलाता है. पंजाब से आने वाली नहरों से यहां की जमीने सिंचित होती है. नहरों का जाल इस कदर फैला हुआ है कि यहां पानी की कमी कल्पना से दूर है. मगर नहरीतंत्र कहलाने वाले इस जिले में पेयजल की जो समस्या है उसको देखकर लगता है की नहरों का जाल बिछा होने के बाद भी यहां के लोगो को पानी बड़ी मुश्किल से नसीब होता है.

पानी की किल्लत शहर की ऐसी कॉलोनियों में है जो गंगनहर के किनारे पर बसी हुई हैं. ऐसे में यहां के लोग गर्मियों में कल्पना करते हुये यही कहते हैं कि नहर किनारे बैठे है, कभी तो लहर आयेगी.

जिला मुख्यालय पर गर्मियों के दिनो में पानी के लिए लोगों को जब टैंकर वालों को पांच सौ से सात सौ रुपए देकर अपनी प्यास बुझानी पड़े तो कल्पना किजिए कि जिले के दूर दराज और बॉर्डर एरिया में बसे लोगो की क्या हालत होती होगी. श्रीगंगानगर शहर के चारों तरफ बसी कॉलोनियों में पानी के लिए तब और ज्यादा तरसना पड़ता है जब आसमान से सूर्यदेव आग बरसाना शुरु करते हैं.

इस बार तापमान ने जो रिकॉर्ड तोड़ा है उससे लोगों के हल्क सूख गए. मगर फिर भी जलदाय विभाग को लोगों पर तरस नहीं आ रहा है. नगरपरिषद एरिया में पानी किल्लत की बात करें तो शहर के पुरानी आबादी के कुछ हिस्सों में इन दिनों पेयजल की भारी किल्लत लोगों को उठानी पड़ रही है तो वही नगर विकास न्यास एरिया की बस्तियों में भी लोग प्यासे रहते हैं.

गंगानगर में यूं तो बहुत नहरें हैं...लेकिन फिर भी यहां लोग प्यासे हैं

शहर की सत्यमनगर,गुरुनानक बस्ती,अशोक नगर,तीन ई छोटी एरिया की कई कॉलोनियों में इन दिनो लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए रुपए देकर दो घूंट पानी का जुगाड़ करना पड़ता है. मगर जिम्मेदार जलदाय विभाग इन कॉलोनियों में पानी किल्लत की परेशानी से कोई सरोकार नहीं रखता है. गर्मी का मौसम ऊपर से तापमान 50 डिग्री और पानी की किल्लत यहां के लोगो को घूंट-घूंट पानी के लिए तरसने पर मजबूर करती है.

ऐसे में जलदाय विभाग के दावे भले ही पानी सप्लाई व्यवस्था सुचारू होने के हैं. मगर लोगों को रुपए देकर पानी पीने पर मजबूर होना पड़ता है. नहरों के जाल में जकड़े जिला मुख्यालय का ही जब ये हाल है तो जिले के बॉर्डर पर बसे लोगों को पानी से किस कदर दो चार होना पड़ता होगा, इसकी कल्पना करने से ही डर लगता है.

बॉर्डर एरिया के गांवों में गर्मी के मौसम में लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ता है. यहां लोग मजबूरी में टंकियों मे जमा पानी घी की तरह रखकर काम में लेना पड़ता है. ऐसे में पानी की किल्लत से लोग यही कह रहे है कि बिन पानी सब सून.

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