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नेताजी रो रिपोर्ट कार्ड...MP दुष्यंत सिंह, बारां-झालावाड़ सीट

झालावाड़. लोकसभा चुनाव अब कुछ ही दिनों में होने वाले हैं. ऐसे में वर्तमान सांसद का कार्यकाल कैसा रहा. इसको जानने के लिए जनता से हम सवाल कर रहे हैं. बारां-झालावाड़ सांसद दुष्यंत की बात करें तो जनता उनके बारे में क्या सोचती है. आइए जानते हैं.

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Published : Mar 4, 2019, 5:45 PM IST

MP दुष्यंत सिंह, बारां-झालावाड़ सीट

वसुंधरा राजे व उनके परिवार का राजनीतिक कार्यक्षेत्र झालावाड़ रहा है. यहीं से वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री के रूप में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया तो वहीं उनके पुत्र दुष्यंत सिंह ने संसद में कदम रखा. वसुंधरा राजे की राजनीति को चमकाने में झालावाड़ जिले का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. वसुंधरा राजे की फर्श से अर्श तक कि राजनीति के सफर में झालावाड़ केंद्र बिंदु रहा है और न सिर्फ वसुंधरा राजे का बल्कि सांसद दुष्यंत सिंह का भी.
दुष्यंत सिंह की तो राजनीतिक पैदाइश ही झालावाड़ में हुई है. दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार सांसद हैं. सांसद दुष्यंत सिंह के पिछले 5 वर्षों के कार्यकाल की अगर हम बात करें तो उनका कार्यकाल मां वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री के पद की चकाचौंध में गुम सा रहा है. झालावाड़ में अधिकतर हुए विकास कार्यों की नींव व आधारशिला वसुंधरा राजे ने ही रखी है.
पिछले 5 वर्षों में दुष्यंत सिंह ने झालावाड़ में किसी भी बड़े जन आंदोलन कि शुरुआत नहीं की है और ना ही क्षेत्र के लिए कोई विशेष बड़ी योजना लाने में सफल रहे. उन्होंने डग, पिड़ावा, अकलेरा व सुनेल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डायलिसिस यूनिट की उद्धघाटन किया लेकिन आज इन सभी की हालत खस्ता है. अधिकतर तो बन्द हो गयी है.
वहीं उन्होंने कोटा-झालावाड़ के बीच चलने वाली ट्रेन का समय 6 महीने तक विस्तारित करवाया है. साथ ही कई ट्रेनों के ठहराव को लेकर भी प्रयास किये है. उनका ऐसा कोई उदाहरण भी नहीं देखने को मिलता है जिसमें उनका मानवीय पहलू उजागर होता है.
अगर हम बात करें सांसद कोष से झालावाड़ में हुए विकास कार्यों की तो उन्होंने कुल 307 कार्यों के प्रस्ताव पेश किए थे. जिनमें से जिला परिषद ने 281 कार्यों की स्वीकृति दी. इन कार्यों की लागत 1495.99 लाख रुपए थी. इनमें से 279 कार्यों की वित्त स्वीकृति की जा चुकी है. जिनमें इनकी लागत 1314.10 लाख रुपए हैं. इसके लिए जिला परिषद द्वारा 1169.26 लाख रुपए की राशि व्यय की जा चुकी है. वित्त स्वीकृति के 279 कार्यों में से 182 कार्य पूरे किए जा चुके हैं जबकि कि 95 कार्य भी चल रहे हैं और 2 कार्यों का शुरू होना अभी बाकी है.

देखें रिपोर्ट
दुष्यंत सिंह का झालावाड़ में कभी-कभार ही आना होता है या यूं कहें ऑकेजनली ही उनका दौरा होता है. उनके पास झालावाड़ में एक कार्यालय है उसी को उन्होंने निवास का नाम भी दे रखा है. यह निवास सिर्फ नाम का ही है क्योंकि वह जब भी झालावाड़ आते हैं तो होटल में ही रुकते हैं. वहीं कभी-कभार ही जनसुनवाई करते हए दिखाई देते हैं. संसद में भी उनकी उपस्थिति कम ही दिखाई पड़ती है. वहीं अगर हम बात करें संसद में सवाल उठाने की तो बहुत कम ही मौकों पर वह सवाल उठाते नजर आए हैं.सांसद के कामकाज व व्यवहार को लेकर जब हमने झालावाड़ की जनता के मूड को जानने का प्रयास किया तो अनेक बातें निकल कर सामने आई. खास तौर से युवा वर्ग के लोगों का कहना था कि सांसद दुष्यंत सिंह को उन्होंने एक दो बार ही देखा है लेकिन वह फिर भी अगली बार उनको जरूर मौका देना चाहेंगे क्योंकि केंद्र में वो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.वहीं कुछ लोगों का यह कहना था कि झालावाड़ में दुष्यंत सिंह के होने न होने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है. जो भी कार्य हुए हैं वो उनकी मां वसुंधरा राजे के भरोसे हुए हैं. कई लोग तो दुष्यंत सिंह के व्यवहार से इतने खफा नजर आए कि उन्होंने उनको 10 में से जीरो नंबर देना मुनासिब समझा.वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना था कि दुष्यंत सिंह व उनकी मां का व्यक्तिगत व्यवहार बहुत अच्छा है जिसके चलते वह दोबारा उनको सांसद के रूप में देखना पसंद करेंगे. झालावाड़ की जनता के मूड से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के उद्देश्य से व झालावाड़ के लोगों से वसुंधरा राजे के व्यवहार के कारण ही लोग दुष्यंत सिंह को अगली बार मौका देने वाले हैं.फाइनल रिपोर्ट- 8

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