कोटा. शहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा का काशी बताया है. यह शिक्षा का काशी कोटा शहर कैसे बना इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है. जहां एक बच्चे के साथ ट्यूशन एट होम का कांसेप्ट शुरू होकर कोटा कोचिंग के पितामह विनोद कुमार बंसल यानी वीके सर ने इसे अलग ही शक्ल दे दिया है. अब कोटा की कोचिंग एक इंडस्ट्री बन गई है.
दरअसल यह कारवां शुरू होता है जब कोटा की जेके सिंथेटिक फैक्ट्री में सहायक इंजीनियर विनोद कुमार बंसल को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी हो गई. जिसके बाद से उन्हें ट्यूशन एट होम का कांसेप्ट शुरू किया. यह ट्यूशन एट होम का कांसेप्ट उन्होंने आठवीं क्लास के बच्चे के साथ शुरू किया जो बाद में 11वीं और12वीं तक पहुंचा. इसके साथ ही उन्होंने आईआईटी और जेई की कोचिंग भी शुरू कर दिया. तब उन्होंने मुड़कर नहीं देखा. वहीं जेके फैक्ट्री के इंजीनियर विनोद कुमार बंसल कोटा की कोचिंग के पितामह वीके सर बन गए.
कोटा में दर्जनों बड़े कोचिंग संस्थानों के अलावा बड़ी संख्या में छोटे कोचिंग संस्थान और निजी शिक्षक भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं. यही नहीं कोटा ने अब तक 42 हजार से ज्यादा आईआईटीयंस और ऑल इंडिया टॉपर दिए है. वीके बंसल के स्टडी मैथड को अमेरिका की प्रसिद्ध मैगजीन वॉल स्ट्रीट जनरल के मुखपृष्ठ पर भी जगह दी. जिससे कोटा कोचिंग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है.
एक के बाद एक खुले कोचिंग संस्थान
कोटा कोचिंग के जनक वीके बंसल की कामयाबी से प्रेरित होकर कोटा में एक के बाद एक कोचिंग खुलते ही चले गए. आज यह शहर भारत का सबसे बड़ा कोचिंग का हब बन गया है. यहां देशभर से छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं. कोचिंग संस्थानों के आंकड़े की बात की जाए तो आज कोटा में करीब डेढ़ लाख स्टूडेंट बाहर से आकर मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं.