राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

चूरू : संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहा रतननगर का 50 सदस्यों का यह दल - Institute of Literary Arts

आज के इस वर्तमान दौर में जहां पहनावा, खानपान और समझने से लेकर विचार करने तक जहां पश्चिम के तौर तरीकों से लोग प्रभावित हैं. वहीं चूरू के रतननगर में 50 लोगों का ऐसा एक ग्रुप है जो भारतीय संस्कृति, विद्वानों के द्वारा दिए गए उपदेश, सभ्यता, लोक कला और लोक संस्कृति को लेकर काम कर रहा है.

संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहा रतननगर का 50 सदस्यों का यह दल

By

Published : Jul 10, 2019, 11:05 AM IST

चूरू .साहित्य कला संस्थान नामक यह संगठन संगोष्ठी, बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए आने वाली पीढ़ी को ऋषियों, चिंतकों, धार्मिक ग्रंथों, लोक संस्कृति, लोकगीतों और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक कर रहा है. इस ग्रुप में 18 साल की शालू सोनी से लेकर 91 साल के मुरारी लाल महर्षि तक हर उम्र और जाति के लोग शामिल हैं.

संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहा रतननगर का 50 सदस्यों का यह दल

भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहे इस ग्रुप की ओर से जहां रतन नगर में हर 2 महीने से विभिन्न मोहल्लों में संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है. वहीं साल में एक बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है.

इस कार्यक्रम में न केवल रतन नगर के वर्तमान निवासी बल्कि इस शहर के देश- विदेश में रहने वाले लोग भी शरीक होते हैं. यानी कि इस कार्यक्रम के जरिए ऐसे लोग जो अब प्रवासी हैं उन्हें भी एक बार अपने शहर और इसकी जड़ों से जुड़ने का मौका मिलता है.

इस ग्रुप के सदस्यों का कहना है कि आज जहां लोगों के पास रिश्तेदारों के शादी समारोह में जाने के लिए ही समय नहीं है. इस दौर में वे संगोष्ठी के जरिए लोगों को जोड़ने का काम कर रहे हैं. ग्रुप के मुख्य सदस्य किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य संतोष परिहार, शिक्षक कांता महर्षि, योग शिक्षक शंकर कटारिया, नारायण महर्षि, नारायण प्रसाद गौड़, भगवती देवी और राजेंद्र धरेंद्रा हैं.

संस्थान के संरक्षक मुरारीलाल महर्षि का कहना है कि रतननगर की लोक संस्कृति, लोक गीतों और शहर के विकास को लेकर समय-समय पर संगोष्ठी का आयोजन करते हैं. जिसमें सकारात्मक बिंदुओं पर चर्चा होती है और लोक संस्कृति बनी रहे. इसके लिए युवाओं को जागरूक करते हैं.

किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य और इस ग्रुप की से जुड़ी संतोष परिहार का कहना है कि संगोष्ठी में पुराने पारंपरिक गीतों के बारे में नई पीढ़ी को बताया गया है. यह सभी गीत एक पुस्तक में संकलित किए गए हैं ताकि आने वाली पीढ़ी इन्हें पढ़ सके और इन गीतों को सुरक्षित रख सके. ऐसा ही संदेश संगोष्ठी में दिया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details