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उपज बेचने गए किसानों को हो रही परेशानी, कहा- हम दलालों का शिकार हो रहे हैं

बूंदी में समर्थन मूल्य (Support Price) पर इन दिनों सरकारी कांटों पर खरीद की जा रही है, लेकिन किसानों (Farmers) को इस दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां पर पांच-पांच दिनों तक किसानों का नंबर खरीद के लिए नहीं आ रहा है, जिसके चलते बूंदी कृषि उपज मंडी (Bundi Agricultural Produce Market) में ट्रॉलियों की भारी भरमार हो गई है.

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उपज बेचने गए किसानों को हो रही परेशानी

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Published : Jun 5, 2020, 7:31 PM IST

बूंदी.कृषि उपज मंडी (Agricultural Produce Market) में सरकारी खरीद केंद्र (Government procurement center) पर हालात बिगड़ गए हैं. यहां पहले से खरीदा हुआ गेहूं उठा नहीं है और लगातार यहां पर समर्थन मूल्य पर खरीद होने के चलते जिले के किसानों का पहुंचना जारी है. ऐसे में मंडी यार्ड (Mandi yard) पूरी तरीके से ट्रॉलियों से खचाखच भर गया है. यही नहीं मंडी के बाहर भी ट्रॉलियों की बड़ी-बड़ी लाइनें लगी हुई हैं. किसान ट्रॉली पर रुककर अपने नंबर का इंतजार कर रहे हैं.

उपज बेचने गए किसानों को हो रही परेशानी

सबसे बड़ी बात यह है कि इन किसानों का टोकन (Token) भी जारी हो चुका है, लेकिन इन किसानों का नंबर अभी तक नहीं आया है. जिसके चलते किसानों की ट्रालियों की लंबी-लंबी लाइनें लग गई हैं. पिछले 2 दिनों से बरसात के मौसम होने के चलते किसानों की फसल भी खराब हो रही है और वह त्रिपाल लेकर अपनी ट्रॉलियों को ढककर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. बूंदी की इस पुरानी कृषि उपज मंडी में व्यवस्थाएं बदहाल हो चुकी हैं, जिसकी तरफ प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है.

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Etv Bharat की टीम बूंदी कृषि उपज मंडी में किसानों की बदहाल स्थिति का जायजा लेने पहुंची. किसानों ने बताया कि हम कई दिनों से यहां पर पड़े हुए हैं. लेकिन हमारा नंबर कब आएगा, यह हमें पता नहीं है. कोरोना वायरस (Corona virus) एक तरफ चल रहा है तो शाम को जल्द ही मार्केट बंद हो जाता है. ऐसे में हम लोगों को खाने-पीने की भी परेशानी हो रही है. ऐसे में हम लोग अपने खाने की व्यवस्था करें या ट्रॉली बचाने की. क्योंकि पूरे जिले के किसान बूंदी मंडी में बेचने के लिए आते हैं. लेकिन वह कालाबाजारी और दलाली का शिकार हो रहे हैं. अधिकारी और FCI ठेकेदार अपने मनचाहे लोगों को सीधे चोरी चुपे ट्रॉली का प्रवेश अंदर करवाकर उनकी खरीददारी करवा रहे हैं. जबकि हम सरकारी सिस्टम (Government system) से टोकन लेकर अंदर प्रवेश हो रहे हैं. ऐसे में हमारे चार से पांच दिनों तक नंबर ही नहीं आ रहे हैं.

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किसानों ने कहा कि बारिश के चलते कहीं फसल न भीग जाए, इसका भी डर बना रहता है. किराए पर ट्रॉली लेकर पहुंचे हैं और रोज ट्रॉली का किराया भी बढ़ रहा है, जितने की फसल नहीं है. उतने का खर्चा रोज का हो रहा है. किसान साफ तौर से कह रहे हैं कि उनके साथ खिलवाड़ हो रहा है. वह बूंदी मंडी में आकर बड़े ही परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर हम निजी तौर पर व्यापारी को बेचते हैं तो हमें बहुत ही कम भाव मिलता है, जिसके चलते हम सरकारी कांटे पर बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन यहां पर टोकन लगने के बाद भी हमारा नंबर नहीं आ रहा है, जिसके चलते हम परेशान हो गए हैं.

हमारी यहां पर कोई सुनने वाला नहीं है. एफसीआई के अधिकारी जो खरीद कर रहे हैं, उसमें बड़ी लापरवाही (Negligence) बरती जा रही है. ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतरे हुए हैं. उन्होंने मांग की है कि व्यवस्थाएं जल्द से जल्द दुरुस्त की जाए और जिन किसानों के नंबर लगे हुए हैं, उन किसानों का जल्द से जल्द फसल खरीदा जाए. ताकि समय पर किसान का अपने घर पर पहुंच जाएं.

बता दें कि समर्थन मूल्य में सरकारी खरीद केंद्र बूंदी जिले में 29 बनाए हुए हैं. सभी जगहों पर स्टॉक लबालब हो जाने के चलते बूंदी में किसानों का पहुंचना जारी है. यहां पर यार्ड बड़ा होने के साथ ही किसान अपनी फसल को लेकर पहुंच रहे हैं. लेकिन बूंदी कृषि उपज मंडी में टोकन जारी होने के बाद भी उनका नंबर नहीं आने के चलते किसान 5 से 10 दिन तक कृषि उपज मंडी में डेरा डाले हुए हैं. जरूरत है कि बूंदी प्रशासन (Bundi Administration) किसानों की सुध ले और बूंदी कृषि उपज मंडी में जो बदइंतजामी हो रही है, उससे किसानों को निजात दिलाए. ताकि बूंदी में फसल बेचने के दौरान किसानों को कोई परेशानी ना हो.

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