बूंदी. अरावली पर्वत मालाओं से घिरा राजस्थान का बूंदी शहर घूमने के लिए बहुत ही खूबसूरत जगह है. राजस्थान के ज्यादातर शहर खासतौर से अपने किलों और महलों के लिए मशहूर है. लेकिन बूंदी को खास बनाती है यहां की चित्रशाला और बूंदी अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली के लिए विख्यात है. जो इस आंचल के मध्य कला में विकसित हुई है. बूंदी चित्र शैली में लाल पीले रंगों की प्रचुरत प्राकृतिक का सतरंगी चित्रण विशेष रूप से पाया जाता है. लेकिन इस चित्र शैली की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है.
बूंदी के तारागढ़ फोर्ट में स्थित ऐतिहासिक चित्र शैली अब धीरे-धीरे खत्म होने लगी है. हालांकि यह चित्र शैली भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है. फिर भी इस चित्र शैली को विभागीय अधिकारी सवांरने में लापरवाही बरत रहे हैं. हालत तो यह हो चली है कि पूरा परिसर अब जर्जर होने लगा है. जो पेंटिंग दीवारों पर अकरी हुई है वह अब धीरे-धीरे जर्जर होने लगी है. इतना ही नहीं कुछ जगहों पर तो चित्रकारी खत्म भी हो गई है. बूंदी चित्र शैली को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं. लेकिन उन्हें देखने के दौरान इन जर्जर अवस्था में पड़ी हुई चित्र शैली को देखते हैं तो सैलानियों को अजीब सा लगता है.
विश्व प्रसिद्ध चित्र शैली है हजारों साल पुरानी
राजस्थान के 33 जिलों में से बूंदी जिला एक ऐसा जिला है जो अपनी विरासत के साथ चित्र शैली के नाम से भी विख्यात है. बूंदी की लोक संस्कृतिक झलकियां देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक देश विदेश से आते हैं. जिसमें बूंदी की चित्र शैली का टशन उन्हें आकर्षित करता है. बूंदी में एक किला है जिसका नाम तारागढ़ है और तारागढ़ का यह नाम वहां की रानी तारा के नाम पर रखा गया था.
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बूंदी तारागढ़ का किला बहुत ही भव्य हैं और किले के भीतर और मुख्य दरवाजे पर चित्र शैली में चित्र बने हुए हैं. इन चित्रों में हाड़ौती चित्र शैली और मेवाड़ चित्र शैली का मिलाजुला स्वरूप देखा जा सकता है. हाड़ौती चित्र शैली में कोटा बूंदी और संभाग के हाड़ौती चित्रकला के अंतर्गत आते हैं. यह हाड़ौती चित्र शैली कहलाती है. राजा राव भाऊ सिंह का शासन काल के चित्र शैली का स्वर्ण काल माना जाता है. इनके शासन में पशु पक्षी का चित्र प्रमुख है. मुख्य विषय वस्तु, रागिनी, बारहमासा, नायिका, भेद, रसिक और प्रिया प्रमुख है. इतिहासकारों की मानें तो 1750 में बूंदी के शासक राव उम्मेद सिंह ने इस चित्र शैली का निर्माण करवाया था और बूंदी के तारागढ़ फोर्ट में एक अलग से महल बनाकर इस चित्र शैली की नींव रखी थी.
दम तोड़ रही है हमारी विरासत