बूंदी. जिले में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए वृक्षारोपण की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए विभाग को वृक्षारोपण से संबंधित योजनाओं को सुचारू रखने के लिए समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं. इसके साथ-साथ पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए उनके लिये कई योजनाएं बनाई जाती हैं.
यह अलग बात है कि अगर कहा जाए कि ये योजनाए कागजों पर ही सिमट जाती है तो शायद गलत नहीं होगा. या फिर नकेल कसे जाने के बाद जब योजना जमीनी स्तर पर उतरती है तो विभागीय लापरवाही के चलते आधे रास्ते में ही दम तोड़ देती है. हर वर्ष वन सप्ताह दिवस के दौरान विभागीय अधिकारी वृक्षारोपण की ओर ध्यान देते नजर आते हैं. और फिर सप्ताह समाप्त होने के बाद वृक्षारोपण की जमीनी हकीकत क्या है उसे देखने की जरूरत अधिकारी नहीं समझते.
वित्त वर्ष 2018-19 में बूंदी जिले में लक्ष्य करीब 2 लाख पौधों का रखा गया था और फाइलों में करीब 2 लाख पौधे रोपे गए थे और करीब 800 हेक्टेयर में 2 लाख से अधिक पौधे बूंदी वन विभाग द्वारा रोपने का दावा किया गया था. विभाग की ओर से बंजर और कम उपजाऊ भूमि उपलब्ध करवाई गई थी. बूंदी जिले में अगर पिछले पांच सालों के आकड़ों की बात की जाए काफी कुछ बदला है. हरियाली भी नजर आती है लेकिन हर साल पौधे लगाने की संख्या में कमी हुई है. जहां बूंदी वन विभाग ने पौधे लगाए वहां रिजल्ट सही दिखाई देता नजर आता है.