बूंदी.नगर परिषद बूंदी में प्रशासक के तौर पर राजस्थान डीएलबी की ओर से अधिशासी अधिकारी को नियुक्त किया गया है. इसी के तहत बने नगर परिषद में आयुक्त अरुण शर्मा ने प्रशासक का चार्ज संभाल लिया है, लेकिन उनके सामने चुनौतियां बहुत है. बूंदी नगर परिषद में पिछले 5 सालों में 50 करोड़ से अधिक का कर्जा उनके सिर पर चढ़ा हुआ है. ऐसे में ना तो परिषद के पास सैलरी चुकाने का पैसा है ना ही विकास करने का ऐसे में पूरे 5 सालों में बूंदी नगर परिषद का कार्यकाल घाटे का सौदा रहा है.
बूंदी नगर परिषद के सभापति के 5 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के चलते इस बार चुनाव नहीं होने से राजस्थान डीएलबी ने सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में प्रशासक की नियुक्ति कर दी है और संबंधित आयुक्त को वहां का प्रशासक नियुक्त किया है.
बूंदी नगर परिषद में भी आयुक्त अरुण शर्मा ने प्रशासक के तौर पर अपना चार्ज संभाल लिया है, लेकिन इन 5 सालों में बूंदी नगर परिषद का कार्यकाल घाटे का सौदा रहा है, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बूंदी नगर परिषद में आज से 5 साल पहले 7 करोड़ पर कि अधिक की आय के साथ मुनाफे में थी, लेकिन जब नगर परिषद के सभापति का कार्यकाल खत्म हुआ तो बूंदी नगर परिषद अब 50 करोड़ घाटे के नीचे से गुजर रही है और आर्थिक तंगी से जूझ रही है.
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सबसे बड़ी बात ये है कि इस नगर परिषद के कर्मचारियों को सैलरी तक भी नहीं मिल पा रही है. 5 माह से नगर परिषद के अधिकतर कर्मचारियों की सैलरी नहीं बन पाई है और आज भी सैलरी के लिए दर-दर कर्मचारी भटक रहे हैं. करीब 2 सालों से किसी भी ठेकेदारों का यहां पर भुगतान भी नहीं किया गया है उनका भी भुगतान अटका पड़ा है. इसी तरह छोटे-मोटे कार्यों को मिलाकर 20 से ₹25 करोड का भुगतान अटका हुआ है. कुल मिलाकर बूंदी नगर परिषद में करीब 50 करोड़ से अधिक आय का कर्जा माथे चढ़ चुका है और बूंदी नगर परिषद के पास इनकम सोर्स नहीं बचे हैं जिससे वो अपनी आय का सोर्स बढ़ा सके.
प्रशासक के तौर पर नियुक्त हुए आयुक्त अरुण शर्मा का कहना है कि बूंदी नगर परिषद में सैलरी की कमी चल रही है. यहां पर 5 माह से किसी भी कर्मचारी को सैलरी नहीं मिली है और चरण बनाकर कर्मचारियों को जैसे-जैसे पैसा आता जाता है. वैसे उन्हें आधी अधूरी सैलरी दी जाती है, लेकिन संपूर्ण सैलरी नहीं मिल पा रही है. इसी के साथ कुछ ठेकेदारों के भी पैसे बकाया हैं. यहां तक कि विद्युत विभाग के बिजली के बकाया बिल की कीमत भी ₹15 करोड़ हैं जो भी चुकता नहीं हो पाया है आधे पैसे जमा कराकर हम बिजली का बिल भुगतान कर रहे हैं.