बीकानेर. साल में 24 और माह में दो बार एकादशी तिथि आती है. हर एकादशी तिथि का महत्व है. प्रत्येक एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. भगवान विष्णु अमृत के कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुए. इस प्रकार, सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की सहायता से अमृत का सेवन किया.
क्या करना चाहिए : एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट की नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ शुद्ध करना चाहिए. इस दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है इसलिए गिरे हुए पत्ते का सेवन करें. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें. हर एकादशी को श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करना श्रेष्ठ रहता है. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है. एकादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय इस द्वादश अक्षर मंत्र का जप करना चाहिए. इसके अलावा यदि श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ संभव नहीं हो तो इस मंत्र के पाठ से श्रीविष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है.
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे