बीकानेर. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि इन कयासों पर विराम तभी लगेगा, जब पार्टी किसी चेहरे को घोषित करेगी. चेहरा कौन होगा यह केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा तय करेंगे. लेकिन प्रदेश भाजपा के कई संभावित चेहरों में एक नाम अर्जुन मेघवाल का भी है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी माने जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं मेघवाल के प्रोफेशनल और पॉलिटिकल करियर के बारे में...
अर्जुन मेघवाल का जन्म 20 दिसंबर, 1953 को बीकानेर उदयरामसर गांव में हुआ. सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले लाखूराम मेघवाल और हीरादेवी मेघवाल के पुत्र अर्जुनराम शुरु से शिक्षा के प्रति जागरूक रहे. उन्होंने बीकानेर के डूंगर कॉलेज से स्नातक किया. इसके बाद फिलीपींस में शिक्षा ग्रहण की. राजनीतिक विज्ञान में एमए के साथ ही एलएलबी, एमबीए डिग्री प्राप्त की. इनकी पत्नी पाना देवी घरेलू महिला हैं और इनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं.
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टेलीफोन ऑपरेटर से कलेक्टर और अब मिनिस्टर: 1974 में अर्जुन राम मेघवाल ने बतौर टेलीफोन ऑपरेटर सरकारी नौकरी की शुरुआत की. 1982 तक वे इस जॉब में रहे और 1982 में राज्य उद्योग सेवा में उनका चयन हुआ और इस दौरान में पाली, झुंझुनूं, धौलपुर, श्रीगंगानगर, राजसमंद, जयपुर, अलवर सहित अन्य स्थानों पर पदस्थापित रहे. प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा के ओएसडी रह चुके अर्जुन मेघवाल बाड़मेर में एडीएम भी रहे.
2006 में आईएएस बने: विभागीय कोटे से 2006 में अर्जुन मेघवाल का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ और करीब दो वर्ष बीकानेर संभाग के चूरू जिले के कलेक्टर रहे और इसके बाद और शिक्षा विभाग राजसीको और वाणिज्यकर विभाग में अतिरिक्त आयुक्त भी रहे.
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वीआरएस लेकर आए राजनीति में: वर्ष 2009 में बीकानेर संसदीय क्षेत्र के परिसीमन के बाद आरक्षित होने पर भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया. अर्जुन मेघवाल वीआरएस लेकर राजनीति में आए और बीकानेर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते. 2014 और 2019 में भी मेघवाल को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया और लगातार तीन बार से वे बीकानेर से सांसद हैं.
पगड़ी और साइकिल से खींचा ध्यान: 2009 में पहली बार सांसद बनने के बाद अर्जुन मेघवाल लोकसभा में 543 सांसदों के बीच में से अकेले ऐसे सांसद थे जिन्होंने पहली बार संसद पहुंचने के बाद भी सबका ध्यान अपनी और खींचा. भारतीय जनता पार्टी के केसरिया और हरे रंग के झंडा के रंग वाली पगड़ी पहने हुए मेघवाल दूर से ही सदन में नजर आते और जहां दूसरे सांसद अपनी गाड़ियों से संसद भवन पहुंचते, वहीं मेघवाल साइकिल से सांसद पहुंचकर चर्चा में आ गए.
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राजनीतिक अनुभव: करीब 15 साल के राजनीतिक जीवन में अर्जुन मेघवाल विवादों से हमेशा दूर रहे और 2013 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में नवाजे गए. लोकसभा में पार्टी के सचेतक रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में दूसरी बार के सांसद मेघवाल को 5 जुलाई 2016 को वित्त राज्य मंत्री बनाया. 2019 में एक बार फिर मोदी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया और संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में जिम्मा दिया. मई 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए किरण रिजिजू की जगह अर्जुन मेघवाल को कानून मंत्रालय बनाया.
दलित नेता के तौर पर प्रभाव: दरअसल भाजपा में दलित नेता के तौर पर अर्जुन मेघवाल ने अपना एक मुकाम बनाया है. पार्टी आलाकमान द्वारा दी गई संगठन और सरकार की जिम्मेवारियों को मेघवाल ने बखूबी निभाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास हासिल किया. पुडुचेरी का विधानसभा चुनाव, राष्ट्रपति का चुनाव में मिली जिम्मेदारी को लेकर मेघवाल काफी सक्रिय रहे. संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के बाद दलित नेता के तौर पर अर्जुन मेघवाल ही वे दूसरे चेहरे हैं जिन्हें कानून मंत्री की जिम्मेदारी मिली है.