भरतपुर.जिले की भरतपुर शहर विधानसभा सीट नदबई के बाद मतदाता की दृष्टि से सबसे बड़ी विधानसभा सीट है. जिले की यह एक ऐसी सीट है, जिस पर पिछले 20 वर्ष से वैश्य समुदाय का कैंडिडेट ही विधानभा चुनाव में विजेता बनता आया है.
पिछले चार विधानसभा चुनाव की बात करें तो एक बार इनेलो, दो बार भाजपा और एक बार रालोद प्रत्याशी ने भरतपुर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है. इस सीट पर पिछले 20 साल में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत हासिल नहीं हुई है. हालांकि यह और बात है कि वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस समर्थित रालोद प्रत्याशी डॉ सुभाष गर्ग चुनाव जीते थे. जिले की इस सीट पर प्रत्याशी की हार-जीत जाट और वैश्य समुदाय के मतदाताओं के गठजोड़ पर निर्भर करती है.
भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर 2018 का चुनाव परिणाम. 20 साल से वैश्य विधायकःभरतपुर शहर की विधानसभा सीट की बात करें तो यह अनारक्षित सीट है. वर्ष 2003 में इनेलो की टिकट पर विजय बंसल ने चुनाव जीता था. उसके बाद वर्ष 2008 और 2013 में भाजपा टिकट पर लगातार विजय बंसल ही चुनाव जीते. वर्ष 2018 के चुनाव में हवा बदली और कांग्रेस समर्थित रालोद के टिकट पर डॉ सुभाष गर्ग इस सीट से चुनाव जीत गए. ऐसे में बीते 20 साल से भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर वैश्य समुदाय के कैंडिडेट ही चुनाव जीतते रहे हैं.
मंत्री डॉ सुभाष गर्ग व विजय बंसल. पढ़ेंः RAJASTHAN SEAT SCAN: सरदारपुरा में चलती है गहलोत की 'सरदारी', प्रदेश के राजनीतिक समीकरण का नहीं यहां असर
दो पार्टी से तीन बार विधायक बनेः वर्तमान में भाजपा से निष्कासित विजय बंसल का भरतपुर विधानसभा सीट पर जबरदस्त दबदबा रहा है. वे तीन बार विधायक रहने के साथ ही नगरपालिका के सभापति भी रह चुके हैं.
भरतपुर शहर विधानसभा क्षेत्र. पहली बार में ही जीतकर मंत्री बनेःभरतपुर शहर विधानसभा सीट से वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस समर्थित रालोद से टिकट लेकर डॉ सुभाष गर्ग पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे. सुभाष गर्ग ने 3 बार से लगातार चुनाव जीतते आ रहे भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल को 15,710 मतों के अंतर से पराजित किया. इतना ही नहीं डॉ सुभाष गर्ग पहली बार विधायक बनने के साथ ही राजस्थान सरकार में मंत्री भी बन गए.
भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या. जाट-वैश्य गठजोड़ से जीत-हारः भरतपुर विधानसभा सीट पर जाट और वैश्य मतदाता का मजबूत गठजोड़ है. विधानसभा सीट के कुल मतदाताओं में से करीब 60 हजार जाट मतदाता और करीब 30 हजार से अधिक वैश्य मतदाता हैं. ऐसे में भरतपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की जीत और हार, जाट एवं वैश्य मतदाताओं के गठजोड़ पर निर्भर करती है. अनारक्षित सीट होने की वजह से बीते 20 वर्ष से इस विधानसभा सीट पर वैश्य समुदाय के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए हैं.
भरतपुर शहर विधानसभा सीट का चुनावी परिणाम. पढ़ेंः RAJASTHAN SEAT SCAN: विद्याधर नगर सीट पर क्या एक बार फिर मिलेगा 'बाबोसा' के दामाद को मौका या गढ़ में लगेगी 'सेंध'
बरकरार रहेगा ट्रेंड या बदलेगी हवाः इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राजनीतिक हल्कों में भरतपुर शहर विधानसभा सीट को लेकर भी चर्चा तेज होने लगी है. चर्चा इस बात की भी है कि क्या इस बार के चुनाव में भी पिछले 20 साल से जारी ट्रेंड बरकरार रहेगा या राजनीतिक हवा बदलेगी. खास तौर पर कांग्रेस के लिए ये सीट काफी मायने रखती है. क्योंकि पिछले 20 साल से कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल करने की कोशिश करती रही है, लेकिन हर बार प्रयास विफल होते रहे हैं. ऐसे में राजनीतिक हल्कों में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इस बार के चुनाव में कांग्रेस पिछले 20 साल के सूखे को इस सीट पर खत्म कर पाएगी?.
भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर यह हैं मुद्दे.