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Hanuman Janmotsav: डीग के जलमहल में विराजमान है अफगानी शिला से निर्मित 450 साल पुरानी हनुमानजी की प्रतिमा, जानें इतिहास - हनुमान जयंती 2023

हनुमान जन्मोत्सव पर आज हम आपको डीग के जलमहल में विराजे 450 साल पुरानी हनुमानजी की प्रतिमा और उससे संबंधित इतिहास के बारे में बताएंगे. साथ ही आपको उस अफगानी शिला के बारे में भी बताएंगे, जिससे यहां हनुमानजी की प्रतिमा का निर्माण (Hanuman Janmotsav 2023) हुआ है.

Hanuman Janmotsav 2023
Hanuman Janmotsav 2023

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Published : Apr 4, 2023, 10:24 PM IST

जलमहल हनुमान मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा

भरतपुर. यूं तो हनुमानजी की प्रतिमा को अलग-अलग पत्थर से तैयार किया जाता है, लेकिन डीग के जलमहल में विराजमान हनुमानजी की प्रतिमा अपने आप में अद्भुत है. ये प्रतिमा अफगानिस्तान से मंगाए गए हकीक नग की शिला से निर्मित है. 450 वर्ष पुरानी इस प्रतिमा की खास बात यह है कि इसमें एक साथ हनुमानजी के कई स्वरूपों के दर्शन होते हैं. डीग के जलमहल में एक कमरे में विराजमान हनुमानजी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के साथ ही पर्यटकों की भी भीड़ लगी रहती है.

मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश ने बताया कि हनुमानजी की प्रतिमा करीब 7 फीट ऊंची है और यह हकीक नग की शिला से तैयार की गई है. हकीक नग बहुत ही कीमती पत्थर होता है और इसके नग को अंगूठी में धारण कर पहना जाता है. उन्होंने कहा कि प्रतिमा के निर्माण का सही समय तो नहीं पता, लेकिन ये करीब 450 वर्ष प्राचीन है. महाराजा सवाई बृजेंद्र सिंह ने डीग के जलमहल में गोपाल भवन के दक्षिणी हिस्से में प्रतिमा की स्थापना कराई थी.

450 साल पुरानी हनुमानजी की प्रतिमा

एक प्रतिमा के 5 रूप -पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि प्रतिमा में हनुमानजी के कई रूप के दर्शन होते हैं. जब राम लक्ष्मण को अहिरावण हरण कर पाताल ले गया तो हनुमानजी उन्हें लेने पहुंचे थे. प्रतिमा में हनुमानजी के कंधों पर राम लक्ष्मण विराजमान हैं तो वहीं, वो एक हाथ में गदा धारण किए हुए हैं. साथ ही पैर के नीचे पाताल भैरवी को दबा रखे हैं और दूसरे हाथ में संजीवनी बूटी ले रखी है.

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इंसानी शरीर की तरह दिखती हैं नस -प्रतिमा की बनावट बहुत खास है. जिस तरह से इंसान के शरीर में नस नजर आती हैं, उसी तरह हनुमानजी की प्रतिमा में भी उनकी नस दिखाई देती हैं. साथ ही प्रतिमा के दाहिने पैर में तीर का निशान भी उकेरा गया है. यह निशान भरतजी द्वारा भ्रमवश हनुमानजी पर चलाए गए तीर के घाव को प्रदर्शित करता है.

बृज 84 कोस का पड़ाव स्थल -मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि डीग, ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा का पहला पड़ाव स्थल है. इसलिए ब्रज चौरासी कोस की यात्रा करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचकर हनुमानजी के दर्शन जरूर करते हैं. साथ ही स्थानीय श्रद्धालु और डीग जलमहल घूमने आने वाले पर्यटक भी हनुमानजी के दर्शन करते हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. वहीं, हनुमान जन्मोत्सव के समय पर यहां पर अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाता है.

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