केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए संजीवनी भरतपुर.हर वर्ष जल संकट से जूझने वाले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए गोवर्धन ड्रेन पर तैयार किया गया क्रॉस रेगुलेटर सिस्टम संजीवनी का काम करेगा. जल संसाधन विभाग में करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से क्रॉस रेगुलेटर सिस्टम तैयार किया गया है. इसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है और जुलाई अंत तक इसके गेट तैयार कर लगा दिए जाएंगे. इसके बाद बरसात के मौसम के बाद भी उद्यान को जरूरत के अनुरूप पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा.
यह थी योजना :जल संसाधन विभाग के एक्सईएन बने सिंह ने बताया कि जनवरी 2022 में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, नगर निगम, नगर विकास न्यास और जिला नवाचार निधि की संयुक्त योजना तैयार की गई. योजना के तहत सभी विभागों से करीब डेढ़ करोड़ रुपए इकट्ठा किए गए. इस बजट से गोवर्धन ड्रेन पर सांतरुक के पास क्रॉस रेगुलेटर सिस्टम तैयार करने का कार्य शुरू किया गया, जो कि फिलहाल अंतिम चरण में है.
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यह था उद्देश्य :घना को चंबल और पांचना बांध के अलावा गोवर्धन ड्रेन से पानी उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन गोवर्धन ड्रेन से एआईआरएफ बरसात के मौसम में ही पानी मिल पाता है. ऐसे में क्रॉस रेगुलेटर सिस्टम के गेट बंद कर यहां बरसात का पानी एकत्रित किया जाएगा और मानसून के बाद भी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को जरूरत के अनुसार पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा.
बरसात का पानी स्टोर किया जाएगा : उन्होंने बताया कि क्रॉस रेगुलर सिस्टम का सिविल वर्क पूरा हो चुका है. जयपुर में 3-3 मीटर की ऊंचाई वाले गेट तैयार कराए जा रहे हैं. जुलाई अंत तक ये तैयार हो जाएंगे. अगस्त में जैसे ही ड्रेन में बरसात का पानी कम होगा वैसे ही गेट डालकर बरसात का पानी स्टोर कर लिया जाएगा और उसे मानसून के बाद भी पम्प सिस्टम से घना को उपलब्ध कराया जा सकेगा.
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हर वर्ष रहता है जल संकट :असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को बीते 20 वर्ष से कभी भी उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल सका है. एक पर्यटन सीजन के दौरान उद्यान को करीब 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन न तो उद्यान को पांचना बांध से और न ही चंबल परियोजना या गोवर्धन ड्रेन से पानी मिल पाता है. ऐसे में क्रॉस रेगुलेटर से घना को अच्छी मात्रा में पानी मिलने की संभावना है.
घना में बन रहा क्रॉस रेगुलेटर सिस्टम बता दें कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 350 से अधिक प्रजाति के प्रवासी पक्षी सर्दियों में प्रवास करते हैं. 28.73 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले उद्यान में 57 प्रजाति की मछलियां, 34 प्रजाति के स्तनधारी जीव, करीब 9 प्रजाति के कछुए, 80 प्रजाति की तितलियां और 14 प्रजाति के मेंढक मिलते हैं. ऐसे में यहां की जैव विविधता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है.