भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर, अलवर और भिवाड़ी क्षेत्र से हरियाणा तक फैले मेवात में पुलिस और कानून-व्यवस्था के लिए गौतस्करी बड़ी चुनौती बन गई है. जिले के मेवात क्षेत्र में आए दिन गौतस्करी की वारदातें सामने आते रहती हैं. वहीं, तस्करों के हौसले इस कदर बुलंद है कि वो पुलिस पर भी फायरिंग से नहीं चूकते हैं. प्रदेश के भरतपुर और अलवर से लगे हरियाणा के नूंह क्षेत्र तक गौतस्करों और गौरक्षकों के बीच आए दिन झड़प की घटनाएं सामने आती रही हैं. इसके इतर कई बार गौतस्करी की वजह से जघन्य वारदातें भी घटित हो रही हैं. हालांकि, पुलिस का दावा है कि गौतस्करी की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पुलिस इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम रही है.
चार साल में 330 वारदातें -भरतपुर पुलिस से प्राप्त आंकड़ों की मानें तो बीते चार साल में गौतस्करी की कुल 330 घटनाएं सामने आई हैं. इनमें कुल 250 गौतस्करों को गिरफ्तार किया गया. वहीं, साल 2019 में गौतस्करी के 59 मामलों में 42 गौतस्कर गिरफ्तार किए गए थे. इसी तरह साल 2020 में 73 मामलों में 35 गौतस्कर, 2021 में 111 मामलों में 61 गौतस्कर और 2022 में 87 मामलों में 112 गौतस्कर को दबोचा गया था. साथ ही चार साल में कुल 3464 गायों को मुक्त कराया गया. कार्रवाई के दौरान कई बार पुलिस को गौतस्करों की तरफ से फायरिंग का सामना भी करना पड़ता है. वहीं, कई बार ऐसा भी होता है कि पुलिस एक भी तस्कर को नहीं पकड़ पाती और वो भागने में कामयाब हो जाते हैं.
गौतस्करी की वारदात
- भिवाड़ी में साल 2019 में 61, 2020 में 43 और 2021 में 48 मामले सामने आए.
- अलवर में साल 2019 में 34, 2020 में 44 और 2021 में 46 मामले दर्ज हुए.
जिले में एक भी गौरक्षक नहीं -भरतपुर पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि जिले में गौतस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है. गौतस्करों को गिरफ्तार भी किया जाता है और उनके चंगुल से गायों को मुक्त भी कराया जाता है. हरियाणा के मेवात क्षेत्र में गौरक्षकों की तरह भरतपुर जिले में कितने गौरक्षक सक्रिय हैं, इस सवाल के जवाब में पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने कहा कि भरतपुर जिले में एक भी गौरक्षक सक्रिय नहीं है. जिले में गौतस्करों के खिलाफ पुलिस की ओर से ही कार्रवाई की जाती है.