देखिए कैसे भरतपुर का मिल्क बैंक बना नवजात के लिए वरदान भरतपुर. कहते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है. जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का दूध बच्चे के लिए बेहद गुणकारी होता है. हालांकि कई कारणवश नवजात इस अमृत से वंचित रह जाते हैं. ऐसे ही कई नवजातों के लिए वरदान साबित हो रहा है भरतपुर का आंचल मदर मिल्क बैंक, जहां बीते 6 वर्षों में हजरों नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जा चुका है.
भरतपुर के आंचल मदर मिल्क बैंक में माताएं अपना दूध दान कर सकती हैं. साथ ही जिन नवजात बच्चों को अपनी मां का दूध नहीं मिलता उनके लिए यहां से दूध उपलब्ध कराया जाता है. भरतपुर के जनाना अस्पताल में स्थित मदर मिल्क बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से बीते साढ़े 6 वर्षों में हजारों नवजात बच्चों को अमृत समान दूध उपलब्ध कराया जा चुका है.
पढ़ें. SPECIAL : अनाथ बच्चों को पालने वाले नवजीवन संस्थान ने शुरू किया जोधपुर का पहला मदर मिल्क बैंक, बच्चों को मिलेगा मां का शुद्ध दूध
साढ़े 6 साल में 8,389 नवजात लाभान्वित :मिल्क बैंक प्रभारी अंजना शर्मा ने बताया कि जनाना अस्पताल में सितंबर 2016 में मदर मिल्क बैंक की स्थापना हुई थी. तब से 21 मई 2023 तक भरतपुर और अजमेर जिले के 8,389 नवजात बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराया जा चुका है. अंजना शर्मा ने बताया कि मदर मिल्क बैंक में प्रसूता अपना दूध दान कर सकती हैं. अब तक 7,625 माताएं मिल्क बैंक में 17 लाख, 07,905 यूनिट (51,237 लीटर) दूध दान कर चुकी हैं.
अजमेर के नवजात भी लाभान्वित :अंजना शर्मा ने बताया कि भरतपुर की मदर मिल्क बैंक से जनाना अस्पताल के एनआईसीयू, प्रसूति वार्ड, निजी अस्पताल और लावारिस बच्चों के लिए दूध उपलब्ध कराया जाता है. भरतपुर जिले के अलावा अब तक मदर मिल्क बैंक से अजमेर के लिए भी एक हजार यूनिट भेजा जा चुका है. ऐसे में भरतपुर की माताओं के दूध का अजमेर के नवजात बच्चों को भी लाभ मिल चुका है.
700 यूनिट की क्षमता :अंजना शर्मा ने बताया कि मदर मिल्क बैंक में 2 डीप फ्रीज़र हैं, जिनमें दूध को सुरक्षित रखा जाता है. बैंक के डीप फ्रीजर में माइनस 18 और 20 डिग्री पर दूध को रखा जाता है. यहां मां का दूध 6 माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है. बैंक की क्षमता 700 यूनिट तक है और वर्तमान में यहां 577 यूनिट मां का दूध उपलब्ध है.
यहां माताएं अपना दूध दान कर सकती हैं पढ़ें. मदर मिल्क बैंक की बिल्डिंग तैयार, उपकरण के अभाव में नहीं हुआ शुरू, फ्री मिलेगा मां का दूध
जांच के बाद ही दिया जाता है दूध :प्रबंधक अंजना शर्मा ने बताया कि किसी भी प्रसूता का दूध लेने से पहले हम उसकी एचआईवी, पीलिया और हेपेटाइटिस की जांच कराते हैं. सब कुछ सही होने पर ही मां का दूध लिया जाता है. इसके बाद दूध की कल्चर जांच कराई जाती है. यदि दूध में किसी प्रकार का इन्फेक्शन नहीं पाया जाता है, तभी बैंक से नवजात बच्चों को दूध उपलब्ध कराया जाता है.
मां का दूध सर्वोत्तम आहार :प्रबंधक अंजना शर्मा ने बताया कि जन्म के 6 माह बाद तक शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार माना जाता है, इसलिए शिशुओं को आवश्यक रूप से मां का दूध पिलाना चाहिए. इससे शिशु का सही शारीरिक और मानसिक विकास होता है. साथ ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है.
पढ़ें. World Milk Day 2023 : दुग्ध उत्पादन में भारत बना ग्लोबल लीडर, लेकिन बढ़ती कीमतों से आमजन परेशान
मदर मिल्क बैंक के नियम को जानें :
- अस्पताल में भर्ती या जिन माताओं के अधिक दूध आता है, वो अपना दूध मदर मिल्क बैंक में दान कर सकती हैं.
- जिन माताओं को प्रसव के बाद कम दूध आता है, उन माताओं का मदर मिल्क बैंक में मशीनों के माध्यम से दूध निकलवाया जाता है.
- ऐसी माताएं अपने नवजात के लिए दूध ले जाने के साथ ही अतिरिक्त दूध यहां दान कर जाती हैं.
इन शिशुओं को दिया जाता है दूध :
- मां को दूध नहीं आने पर शिशुओं के लिए मदर मिल्क बैंक से दूध उपलब्ध कराया जाता है.
- सिर्फ 28 दिन तक ही किसी शिशु को मदर मिल्क बैंक से दूध उपलब्ध कराया जा सकता है.
- यदि कोई नवजात 1 किलो से कम वजन का है तो उसे भी डेढ़ माह तक चिकित्सकीय परामर्श पर मदर मिल्क बैंक से दूध उपलब्ध कराया जा सकता है.
- यदि प्रसव के दौरान किसी नवजात की मां गुजर जाती है तो उसे भी दूध उपलब्ध कराया जाता है.
- कोई नवजात लावारिस हालत में लाया जाता है तो उसे भी मदर मिल्क बैंक से मां का दूध दिया जाता है.