बाड़मेर.राजस्थान के पचपदरा में सबसे बड़े रिफाइनरी प्रोजेक्ट का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. करीब 45 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए 2021 जनवरी से अब तक 38 हजार करोड़ के टेंडर जारी हो चुके हैं. बाड़मेर कलेक्टर विश्राम मीणा का दावा है कि रिफाइनरी के सारे प्रोजेक्ट तय सीमा के अंदर चल रहे हैं. यह रिफाइनरी प्रोजेक्टर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ड्रीम प्रोजेक्ट है. मुख्यमंत्री खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
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रिफाइनरी का काम युद्ध स्तर पर हो रहा है जब से गहलोत सरकार सत्ता में आई है. रिफाइनरी शुरू होने केबाद बाड़मेर सहित राजस्थान के हजारों लोगों को रोजगार की उम्मीद है. रिफाइनरी प्रोजेक्टर को पूरा करने की समय सीमा 2022 रखी गई है. ताकि गहलोत सरकार विधानसभा चुनावों में इसका फायदा ले सके. पूरे देश के करीब 30 फीसदी क्रूड ऑयल का उत्पादन बाड़मेर में हो रहा है.
पचपदरा रिफाइनरी प्रोजेक्ट पिछले कई सालों से यहां के लोग रिफाइनरी की मांग कर रहे थे. इसको लेकर कई सालों तक विवाद भी चलता रहा. जिसके चलते प्रोजेक्ट डिले हो गया. 2013 में मुख्यमंत्री कहते हुए अशोक गहलोत ने रिफाइनरी प्रोजेक्ट का शिलान्यास सोनिया गांधी के हाथों से करवाया था. लेकिन जैसे ही प्रदेश में भाजपा की सरकार आई रिफाइनरी प्रोजेक्ट का काम लटक गया. वसुंधरा राजे की सरकार ने कहा कि रिफाइनरी के लिए जो करार कंपनियों के साथ किए हैं वह राजस्थान के लिए नुकसानदायक हैं. जिसके चलते दो-तीन साल तक के प्रोजेक्ट लटका रहा. उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया.
2018 में वापस राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आई. तब से ही इस प्रोजेक्ट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मॉनिटरिंग करने के लिए कमेटी बना रखी है. जो लगातार इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रही है. बाड़मेर कलेक्टर विश्राम मीणा के अनुसार रिफाइनरी प्रोजेक्ट में करीब 45 हजार करोड़ की लागत आएगी. जिसमें से 38 हजार करोड़ के टेंडर जारी हो चुके हैं. रिफाइनरी का काम समय सीमा में पूरा हो इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है.
कलेक्टर ने कहा कि रिफाइनरी के काम में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. हजारों करोड़ रुपए खर्च होने के बाद अब पचपदरा की तस्वीर भी बदल गई है. पचपदरा में अब रिफाइनरी जैसी इमारतें खड़ी होती हुई नजर आ रही हैं. वहीं हजारों लोगों को रोजगार भी मिल गया है. ऐसा माना जा रहा है कि जब रिफाइनरी शुरू होगी तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा. यह राजस्थान का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है.