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बाड़मेरः हजारों की तादाद में फंसे मजदूर, घर जाने के लिए लगा रहे दफ्तरों के चक्कर

बाड़मेर में फंसे अलग-अलग राज्यों के हजारों मजदूरों के सब्र का बांध अब टूट रहा है. सरकार दावें कर रही है की हम मजदूरों को घर वापस भेज रहे हैं. लेकिन, ये मजदूर इनके दावों में कितनी सच्चाई है ये दिखा रहे हैं. लॉकडाउन लगे 2 महीना हो गया है. लेकिन, आज भी मजदूर घर वापसी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. ईटीवी भारत ने जाना मजदूरों का दर्द.

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Published : May 20, 2020, 8:14 PM IST

बाड़मेर में प्रवासी मजदूर, migrants labourers in barmer
घर जाने के लिए लगा रहे दफ्तरों के चक्कर

बाड़मेर. घर वापसी के लिए प्रवासी श्रमिक दर-दर भटक रहे हैं. लॉकडाउन लगने के 57 दिन बाद भी मजदूरों की घर वापसी नहीं हो पा रही. अलग-अलग राज्यों से आए ये मजदूर बाड़मेर जिले में लिग्नाइट औद्योगिक सहित कई फैक्ट्रियों में हजारों की तादाद में काम कर रहे थे. लेकिन कोरोना फिर लॉकडाउन की वजह से हजारों मजदूर फंस गए. वहीं, बाड़मेर जिला प्रशासन का दावा है कि अब तक हमने पांच हजार मजदूरों की घर वापसी करवा दी है. लेकिन, अभी तक बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के तीन हजार मजदूर यहीं पर फंसे हुए हैं.

घर जाने के लिए लगा रहे दफ्तरों के चक्कर

मजदूर बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान काम पूरा का पूरा काम धंधा बंद हो गया. सरकार की ओर से खाने-पीने का भी कोई इंतजाम नहीं किया गया. जो पैसे बचाए थे वह खत्म हो गए. मजदूरों का कहना है कि हम दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन, कोई जवाब देने को तैयार नहीं है. जब इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने बाड़मेर के जिला कलेक्टर विश्राम मीणा से बात की तो उन्होंने बताया कि अब तक चार हजार से ज्यादा मजदूरों की मंगलवार को घर वापसी हो चुकी है. वहीं बिहार, पश्चिमी बंगाल और झारखंड के कुछ मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं. इन सब राज्यों के लिए हमने ट्रेन की डिमांड की है जैसे ही हमें ट्रेन मिलती है तो इन सभी मजदूरों की घर सुरक्षित तरीके से भेज दिया जाएगा.

घर जाने के लिए लगा रहे दफ्तरों के चक्कर

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लॉकडाउन लगे 2 महीना हो गया है. लेकिन, आज भी मजदूर घर वापसी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. मजदूर अपने घर वापसी के लिए कभी बस स्टैंड तो कभी रेलवे स्टेशन तो कभी अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. ऐसे में उन्हें पिछले 2 महीनों से खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यह तस्वीरें सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलती है जो यह कहते हैं की हमने मजदूरों के लिए पुख्ता इंतजाम किया है.

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