सिवाना (बाड़मेर). कस्बे के लाखेटा में सन्तोषभारती महाराज के समाधी स्थल पर गुरुवार को मेले का आयोजन किया गया. मेले में बड़ी संख्या में समदड़ी, सिवाना, बालोतरा, पाली, जालोर, जोधपुर सहित दूर दराज और आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु पहुंचे.
बाड़मेर के लाखेटा मेला में उमड़ा जनसैलाब गेर नृत्य ने मोहा मन
समदड़ी क्षेत्र के सुप्रसिद्ध लाखेटा मेला में बहुरंगी वेशभूषाओं से सजे-धजे गेर नर्तकों ने ढोल की ढमकार, थाली की टंकार, धुंघरुओं की रुनझुन और डंडियों की नांद पर लयबद्ध रूप से गेर नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को झूमने को मजबूर कर दिया. मेला में दर्शकों की भीड़ बढ़ने के साथ ही नर्तकों का उत्साह भी बढ़ता गया, जहां नृतकों के दलों ने घंटों जमकर नृत्य किया. ढोल वादकों ने अपनी विभिन्न कलाओं से भी दर्शकों को रोमांचित किया.
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मेले में गेर नाटकों की प्रस्तुतियां
मेले में सात गेर दलों ने भाग लिया. इसमें डांडिया में प्रथम लालिया, द्वितीय सामुजा तृतीय स्थान पर मोतीसरी गेर दल रहा. जत्था गेर में मुरडिया पाली की गेर प्रथम रही. ढोल वादक में सकाराम ढीढ़स पहले स्थान पर रहा. सभी गेर दलों और ढोल वादक को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मेला स्थल पर लगे हाट बाजार में लोगों ने जरूरत के सामान की खरीदारी की.
मेला हमारी संस्कृति के प्रतीक
सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने कहा कि मेले हमारी प्राचीन विरासत हैं. हमें इसे मिल-जुल कर संजोना हैं. इसी दौरान पूर्व मंत्री अमराराम चौधरी ने कहा कि मेला हमारी लोक संस्कृति और लोक परम्परा का प्रतीक है. इससे हमारी धार्मिक आस्था जुड़ी है. इनसे आपसी भाईचारा और मेलजोल बढ़ता है. मेला कमेटी अध्यक्ष और पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी, कांग्रेस खनन प्रकोष्ठ प्रदेश महासचिव पंकज प्रतापसिंह ने कहा कि मेला मेलजोल का प्रतीक है. इससे प्रेम और भाईचारा बढ़ता है. वहीं मेले में आयोजन कमेटी की ओर से व्यवस्थाओं को लेकर पुख्ता प्रबंध नजर आए.