बाड़मेर.लॉकडाउन के दौरान एक के बाद एक लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. कितनोरिया प्रिंसिपल के पॉजिटिव मिलने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी अभी तक भी सबक नहीं ले रहे हैं, जिसके चलते एक के बाद एक अधिकारियों के लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. जयपुर से आए प्रिंसिपल की वजह से जिले में कोरोना वायरस ने दस्तक दी वहीं उसके बाद गडरा पंचायत समिति के विकास अधिकारी का बिना अनुमति पोकरण जाना और अब स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमएचओ भी बिना अनुमति मुख्यालय छोड़कर पाली स्थित अपने आवास पर चले गए.
जिन पर जिले वासियों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है अगर वह खुद ही इस तरह की लापरवाही करते हैं, इसका खामियाजा बाड़मेर के लोगों को भुगतना पड़ सकता है.
बाड़मेर में कर्मचारी और अधिकारी प्रोटोकॉल तोड़ रहे हैं. कोरोना की रोकथाम के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमएचओ डॉ. पीसी दीपन बिना अनुमति मुख्यालय छोड़कर पाली स्थित अपने घर चले गए. 2 दिन ठहरने के बाद स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी से ही बाड़मेर लौट आए. इतना ही नहीं जाते वक्त कोरोना के हाई रिस्क एरिया, जोधपुर शहर से होकर आए है. जबकि लॉकडाउन में अधिकारी और कर्मचारियों के मुख्यालय छोड़ने पर रोक लगाई गई है, लेकिन बावजूद इसके अधिकारी चोरी चुपे आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, इस तरह से एक के बाद एक लगातार अधिकारियों की लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं.ये पढ़ें:डिप्टी सीएमएचओ के बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ने व सरकारी गाड़ी से 250 किलोमीटर दूर पाली अपने आवास जाने और 2 दिन बाद उसी गाड़ी से हाई रिस्क एरिया जोधपुर से होकर लौटने के बारे में जब बाड़मेर सीएमएचओ डॉ. कमलेश चौधरी से सवाल पूछा गया, तो वह इस पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे कुछ भी नहीं कहना है, क्योंकि हमारा विभाग आवश्यक और आपातकालीन सेवाओ में आता है. उसी के तहत इस तरह के निर्देश देते रहते है.
वहीं इस पूरे मामले पर जब बाड़मेर जिला कलेक्टर विश्राम मीणा से सवाल किया गया तो, उन्होंने कहां की जिले के अधिकारियों को पूर्व में भी हमने बिना अनुमति जिला मुख्यालय नहीं छोड़ने के आदेश जारी किए थे. अगर फिर भी किसी को पारिवारिक कारणों से जाना हो अपनी उच्च अधिकारी से परमिशन लेकर जा सकता है. लेकिन उसके बावजूद भी कुछ अधिकारियों के बिना अनुमति के मुख्यालय छोड़ने की जानकारी मिली है. ऐसे अधिकारियों को हमने जवाब तलब किया है. संतोषजनक कारण नहीं मिलने पर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.